द वायर, देशव्यापी लॉकडाउन की अवधि 19 दिनों तक बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री ने गरीबों को हो रही तकलीफों पर खेद जताया था. समाज का मिडिल क्लास तमाम चुनौतियों को झेलने के बावजूद भी इसे जरूरी क़दम बता रहा है. यह मिडिल क्लास उन तकलीफों को नहीं समझ रहा, जिससे बेघर मजदूर और गरीब लोग गुजर रहे हैं. ये लोग भूख से उपजी तड़प को नहीं समझते. देश का हर वंचित तबका इस...
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लॉकडाउन या नॉकडाउन
न्यूजप्लेटफार्म, मैं इस बहस में नहीं पडूंगा कि भारत कोरोना के सामुदायिक प्रसार के दौर में है या नहीं क्योंकि यदि नहीं भी है तो बहुत जल्द पहुंच जाएगा. पहले दिन से ही यह स्पष्ट है कि भारत में कोरोना के नियंत्रण के लिए सम्पूर्ण लॉकडाउन किया जाना सही नहीं है. उसकी जनसांख्यिकी, उसकी अर्थव्यवस्था, उसका सामाजिक पिछड़ापन और इस सब से ज्यादा उसके शासन का पिछड़ा रवैया, जवाबदेही का अभाव...
More »शवों के साथ प्रदर्शन को दंडनीय अपराध घोषित करे राज्य सरकार: राजस्थान मानवाधिकार आयोग
जयपुरः राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग ने मुआवज़े और ऐसी अन्य मांगों को लेकर शवों के साथ प्रदर्शन के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है. आयोग ने राज्य सरकार से कहा है कि वह इस तरह की गतिविधि को दंडनीय अपराध बनाने के लिए प्रावधान करें. इस संबंध में आयोग के अध्यक्ष जज प्रकाश टाटिया ने 17 अक्टूबर को कुछ सिफारिशों के साथ एक आदेश पारित किया है, जिसमें सरकार से शवों के...
More »हिमाचल प्रदेश: श्मशान गृह से भगाए जाने पर दलित परिवार ने जंगल में किया वृद्धा का अंतिम संस्कार
शिमला: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के फोजल घाटी के एक गांव के श्मशान गृह का कथित तौर पर प्रयोग नहीं करने देने पर एक दलित परिवार को जंगल में बुजुर्ग महिला का अंतिम संस्कार करने पर मजबूर होना पड़ा. धारा गांव की निवासी करीब 100 साल की एक महिला का लंबी बीमारी के बाद बृहस्पतिवार को निधन हो गया था. महिला के पोते टेप राम ने आरोप लगाया कि गांव...
More »ये किस देश के लोग हैं!-- कुमार प्रशांत
अल्लामा इकबाल ने एक नज्म लिखी थी- ‘मेरा वतन वही है, मेरा वतन वही है!' मैं जितनी बार इस नज्म को पढ़ता हूं, उतनी बार भीतर से कोई पूछता है कि इकबाल ने तो अपने वतन की पहचान कर ली थी, तुम अपने वतन की पहचान क्या अौर कैसे करते हो? मैं जवाब नहीं दे पाता. मैं किस तरह अपने वतन को समझूं (या समझाऊं) कि जहां अकारण स्वामी अग्निवेश...
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