बहुआयामी गरीबी मौद्रिक यानी पैसे आधारित गरीबी नहीं है बल्कि यह गैर-मौद्रिक आधारित गरीबी है, जो सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने की चुनौतियों से दृढ़ता से जुड़ी है. हालाँकि पहले गरीबी को केवल मौद्रिक यानी धन आधारित गरीबी के संदर्भ में ही परिभाषित किया गया था, लेकिन अब गरीबी को लोगों के अनुभवों की जीवंत वास्तविकता और उनके द्वारा भोगे जाने वाले अनेकों अभावों से जोड़कर देखा जाता...
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भारतीय अर्थव्यवस्था के-शेप्ड रिकवरी की तरफ बढ़ रही है, ऐसा होना भारत के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं होगा
-द प्रिंट, जैसे ही यह खबर आई कि दुनिया की सबसे तेज रफ्तार अर्थव्यवस्था आज दुनिया की सबसे तेजी से सिकुड़ रही अर्थव्यवस्था बन गई है, चारों तरफ से तरह-तरह की टिप्पणियां आने लगीं. इन टिप्पणियों में सबसे गौरतलब यह थी कि भारत की आर्थिक वृद्धि की क्षमता 6 प्रतिशत से घटकर 5 प्रतिशत की हो गई है. कुछ अरसे से यह स्पष्ट हो गया था कि भारत को कोविड-19 के...
More »देश भर में, 11,537 अनियमित कामगारों के साथ की गई सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी की गई, “कोविड-19 के दौर में कामगार.“
-ऐक्शन एड, अनियमित कामगारों के राष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार, “लॉकडाउन से अब तक 75% से ज़्यादा कामगार अपना रोज़गार गँवा चुके हैं.” देश भर में, 11,500 अनियमित कामगारों के साथ किए गए एक सर्वे के अनुसार, “लॉकडाउन के दौरान खाद्य उपभोग प्रभावित हुई है. सर्वेक्षित 11,537 में से तीन-चौथाई से भी अधिक लोगों ने बताया कि लॉकडाउन घोषित होने के बाद उनका रोज़गार चला गया. इनमे से क़रीब आधे लोगों ने कहा कि उनकी इस दौरान कोई आय नहीं हुई, 17% लोगों का कहना था कि उन्हें आंशिक वेतन ही प्राप्त हुआ. तक़रीबन 53% लोगों का कहना था कि लॉकडाउन के दौरान उनके क़र्ज़ में इज़ाफ़ा हुआ. क़रीब...
More »ईआईए अधिसूचना का मसौदा किस प्रकार से आदिवासियों और वनवासी समुदायों के अधिकारों से समझौता करना है
-न्यूजक्लिक, जहां एक ओर पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना, 2020 के मसौदा दस्तावेज की आलोचना व्यापार को आसान बनाने के लिए पर्यावरणीय मानदंडों को खत्म करने की कोशिशों की खातिर की जा रही है, वहीं इन नए प्रावधानों के चलते समाज के कुछ तबकों को इसका सबसे अधिक खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। और वे तबके हैं जंगली इलाकों में रहने वाले अनुसूचित जनजाति और अन्य पारम्परिक वनवासी समुदाय के लोग। नई अधिसूचना...
More »उपभोग की आदतों में बदलाव से हो सकती है भू-मंडल और जीव-मंडल की रक्षा!
-न्यूजक्लिक, पिछले कुछ महीनों से हममें से उन लोगों को जिनके पास कई चीजों के उपभोग कर सकने लायक पर्याप्त क्रय शक्ति मौजूद है, उन्हें इस तथ्य के प्रति अवगत कराया होगा कि वे इसे कम करके भी जी सकते हैं। अब वे उत्पाद “फिलहाल उपलब्ध” टैब के साथ एक बार फिर से वापस आ चुके हैं, तो क्या ऐसे में हमें फिर से पुरानी आदतों को अपना लेना चाहिये? आख़िरकार...
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