भारत दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता हुआ इंटरनेट बाजार है. लेकिन इसके साथ एक नकारात्मक आंकड़ा भी जुड़ा हुआ है. भारत दुनिया में सबसे ज्यादा बार इंटरनेट बंद करने वाला देश भी है. इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनैशनल इकनॉमिक रिलेशन्स के मुताबिक साल 2012 से जनवरी, 2019 तक किसी ना किसी कारण से भारत में केंद्र या राज्य सरकारों ने 367 बार इंटरनेट बंद किया था. 2019 में...
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सोशल मीडिया के दुरुपयोग ने ख़तरनाक रूप ले लिया है, सरकार हस्तक्षेप करे: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली: सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर सख्त रवैया अपनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया का दुरुपयोग खतरनाक हो गया है. समय आ गया है कि केंद्र सरकार इसमें दखल दे. कोर्ट ने केंद्र सरकार से ऐसे मामलों से निपटने के लिए सख्त दिशानिर्देश बनाने की बात कही है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन हफ्ते के भीतर वह समयसीमा बताने के लिए कहा है जिसमें सोशल...
More »अगर आप समाचारों के ऑनलाइन पाठक हैं तो ये न्यूज एलर्ट जरुर पढ़ें!
भारत में समाचारों के आस्वाद की दुनिया तेजी से बदली है : लोगों का समाचारों पर से विश्वास घटा है और समाचार के पाठकों की दुनिया की एक बड़ी तादाद को आशंका सताती है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपने राजनीतिक विचारों का इजहार किया तो उन्हें अधिकारी-वर्ग से परेशानी उठानी पड़ेगी. अंग्रेजी भाषी पाठकों के बीच किये गये एक सर्वेक्षण के मुताबिक टेलिविजन, अखबार या फिर रेडियो नहीं बल्कि समाचार हासिल करने...
More »स्वच्छ चुनाव के विभिन्न आयाम- अजीत रानाडे
हाल में सुप्रीम कोर्ट ने वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें ‘अपराधी' उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गयी थी. याचिकाकर्ता का तात्पर्य ऐसे उम्मीदवारों से था, जिन पर हत्या, हत्या की कोशिश, भयादोहन, बलात्कार, अपहरण या गबन के अभियोग लगे हैं, पर अभी उन्हें उक्त अपराध में दोषसिद्ध करार न दिया गया हो. चूंकि न्यायिक प्रक्रिया दशकों लंबी खिंच सकती है और जब तक...
More »खुद की अदालत में मीडिया-- मृणाल पांडे
हमारे साहित्य या मीडिया में खुद अपने भीतरी जीवन की सच्चाई जिक्री तौर से ज्यादा, फिक्री तौर से कम आती है. मसलन दर्शक-पाठक भली तरह जान चुके हैं कि मीडिया के भीतर कैसी मानवीय व्यवस्थाएं हैं, खबरें कैसे जमा या ब्रेक होती हैं. पत्रकारों के बीच एक्सक्लूसिव खबर देने के लिए कैसी तगड़ी स्पर्धा होती है. लेकिन, पिछले दो दशकों में उपन्यासों, कहानियों या मीडिया पर लिखे जानेवाले काॅलमों में...
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