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कृषि मंत्रालय ने पहली बार बनाई आपदा प्रबंधन योजना, जल्द होगी लागू

-डाउन टू अर्थ, अपनी तरह के पहले प्रयास में केंद्र सरकार जल्द ही बाढ़ और सूखे जैसी भीषण मौसमी परिस्थितियों से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन योजना लागू करने जा रही है। इसमें नॉवेल कोरोनावायरस बीमारी जैसी दुर्लभ घटनाओं को भी शामिल किया जाएगा। यह योजना जिसे मार्च 2021 में पेश किए जाने की उम्मीद है, उसमें ऐसे 34 जोखिमों को सूचीबद्ध किया गया है, जो कृषि क्षेत्र के लिए खतरा बन...

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पर्यावरण रक्षक खेती है बारहनाजा - बाबा मायाराम

इन दिनों दिल्ली में किसान आंदोलन चल रहा है। खेती-किसानी की चर्चा चल रही है। इस समय तीन नए कृषि कानून व न्यूनतम समर्थन मूल्य के अलावा खेती के व्यापक पहलुओं पर भी बात करना भी जरूरी है। मिट्टी- पानी, जैव विविधता व पर्यावरण रक्षक खेती की चर्चा भी जरूरी है। इनमें से एक है उत्तराखंड की पारंपरिक कृषि पद्धति है, जो मिट्टी-पानी व जैव विविधता का संरक्षण करते हुए...

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सूचना की महामारी, फैक्‍ट-चेक का हैंडवॉश और सत्‍य का लॉकडाउन

-न्यूजलॉन्ड्री, कुछ दिन पहले एक पत्रकार साथी का फोन आया था. वे दिल्‍ली के एक ऐसे शख्‍स की खोज खबर लेने को उत्‍सुक थे जिसे ज्‍यादातर अखबारों और टीवी चैनलों ने 9 अप्रैल, 2020 को मृत घोषित कर दिया था. मरे हुए आदमी को खोजना फिर भी आसान होता है, लेकिन ये काम थोड़ा टेढ़ा था. मित्र के मुताबिक व‍ह व्‍यक्ति जिंदा था. कुछ अखबारों और चैनलों के मुताबिक वह मर...

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यूएनईपी-आईएलआरआई रिपोर्ट: जूनोटिक रोगों के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए मानवीय गतिविधियों पर निगरानी जरूरी

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और इंटरनेशनल लाइवस्टोक रिसर्च इंस्टीट्यूट (ILRI) द्वारा 6 जुलाई (इस वर्ष विश्व भर में अनुसंधान संस्थानों और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा वर्ल्ड जूनोसेस डे के रूप में मनाया गया) को जारी की गई एक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि मनुष्यों में 60 प्रतिशत ज्ञात संक्रामक रोगों की उत्पत्ति कहीं न कहीं एक जानवर से संबंधित रही है. इसी तरह, सभी नए और उभरते संक्रामक...

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टाइम यूज सर्वे: महिलाओं के गले में बंधा है घर का चुल्हा चौंका और देखभाल का अवैतनिक काम

अन्य कई कारणों के अलावा, देश में पुरूषों के मुकाबले महिलाओं की कम श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) के पीछे एक कारण (अर्थशास्त्रियों के अनुसार) यह है कि युवा लड़कियां शिक्षा ग्रहण कर रही हैं, जिसकी वजह से माध्यमिक और उच्च शैक्षिक स्तर पर महिलाओं के एनरोलमैंट में सुधार देखने को मिला है. इसका अर्थ यह है कि अधिक से अधिक भारतीय महिलाएँ अपनी शिक्षा को जारी रखने के लिए...

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