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कभी न भूलें: कोविड-19 से बचे एक पीड़ित की अपील

-न्यूजक्लिक, नोबेल पुरस्कार विजेता और होलोकॉस्ट(हिटलर के नरसंहार) में बच गये एली विज़ेल ने कहा था,'तटस्थता पीड़ित को नहीं,बल्कि उत्पीड़क को मदद पहुंचाती है। मौन उत्पीड़ित को नहीं,बल्कि ज़ुल्म करने वालों को ही हमेशा प्रोत्साहित करता है।' इसी रौशनी में कोविड-19 के प्रकोप से बच गयी तान्या अग्रवाल हाल के इतिहास में किसी सरकार की सबसे बुरी व्यवस्थागत नाकामियों और ज़िम्मेदारियों की अनदेखी को कभी नहीं भूलने के सिलसिले में लिखती हैं। तान्या...

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किसान हित के दावों के बीच सरकार ने लक्ष्य के मुकाबले छह फीसदी से भी कम दालें और तिलहन खरीदा

-द वायर, मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ छह महीने से भी अधिक समय से चल रहे आंदोलनों के बीच केंद्र ने साल 2021-22 की खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा की है. भाजपा और केंद्र सरकार इस मौके को किसानों के प्रति अपनी छवि सुधारने के रूप में इस्तेमाल कर रही है, जहां केंद्रीय मंत्रियों से लेकर भाजपा के नेता एवं कार्यकर्ता तक प्रधानमंत्री नरेंद्र...

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गंगा में कोरोना विषाणु का सर्वाइवल मुश्किल, नदी में महाजाल से डॉल्फिन को नुकसान का अंदेशा

-डाउन टू अर्थ,  "गंगा से लिए गए नमूनों में कोरोना विषाणु की उपस्थिति की आशंका बहुत कम है। विषाणु का भी जीवन है और वह मृत हो चुका होगा, मेरा अनुमान है कि वह पानी में जीवित नहीं रह पाएगा। नमूनों का अभी एक स्तर का परीक्षण हो चुका है और आगे के लिए जांच जारी है, इसके निर्णायक परिणाम आना बाकी हैं। यह परिणाम केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के जरिए...

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भारत समेत दुनियाभर के बेहतरीन दिमाग यह पता लगाने में जुटे कि कोरोनावायरस आखिर आया कहां से

-द प्रिंट, हम कोविड महामारी में वर्तमान स्थिति की व्याख्या कैसे करते हैं? बात को कुछ इस तरह रखें. अगर आप टीवी पर क्रिकेट मैच देखते होंगे तो आपने एक परफ्यूम का वह विज्ञापन भी देखा होगा जिसमें एक तूफान में एक नौजवान की कमीज उड़ जाती है और उसका गठीला बदन दिखने लगता है, एक लड़की उसके बदन पर भरपूर नज़र डालते हुए कहती है, ‘आपके कपड़े तो गए, लेकिन खुशबू...

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तमाम योजनाओं और करोड़ों रुपये ख़र्च होने के बावजूद गंगा अगर साफ़ नहीं, तो ज़िम्मेदारी किसकी है

-द वायर, कोरोना महामारी के इस दौर में वाराणसी शहर के ज्यादातर घाटों पर अत्यधिक मात्रा में पाए गए हरे शैवाल ने भारत सरकार के गंगा स्वच्छता के नारे एवं परियोजना की पोल खोल दी है और तमाम सरकारी दावे धरे के धरे रह गए हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि कहीं यह गंगा के विलुप्त होने का संकेत तो नहीं है? ऐसे में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि भारत सरकार के द्वारा गंगा पुर्नरुद्धार के नाम...

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