SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 46

कालेधन के बारे में भारत को 1 फीसदी जानकारी ही है

पेरिस। छह साल पहले जिनेव स्थित एचएसबीसी बैंक के हजारों गुप्त खातों का खुलासा करने वाले बैंक के पूर्व कर्मचारी एर्वे फलचैनी ने कहा है कि काले धन के मामले में भारत को एक फीसदी जानकारी भी नहीं है। वर्तमान में फ्रांस में रह रहे फलचैनी ने कहा कि वह दूसरे देशों की मदद कर रहे हैं और भारत की मदद करने के लिए भी तैयार हैं। एक टीवी चैनल से...

More »

काले धन की मरीचिका में हम - विजय संघवी

हमारा देश एक मरीचिका का पीछा कर रहा है, जिसका नाम है विदेशों में जमा काला धन। अगर काले धन का शगूफा बार-बार छेड़ा जाता है तो उसका कारण यह है कि इससे राजनेताओं को दूसरे मामलों से देशवासियों का ध्यान भटकाने का मौका मिल जाता है, अफसरों को देश में मौजूद काली संपदा को नजरअंदाज करने की सुविधा मिल जाती है, न्यायपालिका को सरकार को फटकार लगाने का अवसर...

More »

काले धन के मसले पर बदलता रुख - आकार पटेल

भारतीयों ने कितना काला धन विदेशों में रखा है? इस बारे में किसी को सही-सही जानकारी नहीं है. सरकार को भी नहीं! वर्ष 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 80 बिलियन डॉलर काला धन होने के अनुमान पर सवाल उठाते हुए कहा था कि यह बहुत बढ़ा-चढ़ा कर बताया गया है. भारत के उद्यमियों के सबसे बड़े संगठन (एसोचैम) का कहना है कि काले धन का आंकड़ा दो ट्रिलियन...

More »

काली कमाई की पेचीदगियां - संजय कपूर

आखिर देश का काला धन कहां पर है? विदेशों में जमा काले धन को देश में लाने में यूपीए सरकार की नाकामी पर आंदोलन करने वालों ने हमें बताया था कि यह पैसा स्विट्जरलैंड या दूसरे 'टैक्स हेवंस" में जमा है। ये संकेत भी दिए गए थे कि अगर इस रकम को भारत ले आएं तो वह तमाम गरीबी व पिछड़ेपन को दूर कर सकती है। कुछ आंकड़ों के मुताबिक...

More »

प्रधानमंत्री जन धन योजना- अब तक नहीं मिल सके हैं इन सवालों के ठोस जवाब

नई दिल्ली। पिछले महीने जोर-शोर के साथ शुरू की गई प्रधानमंत्री जन धन योजना में भले ही अब तक तीन करोड़ से अधिक खाते खोलने का दावा किया जा रहा हो, इससे जुड़े कई सवाल अभी भी अपने जवाब तलाश रहे हैं। योजना से जुड़े फायदे उठाने के लिए वे लोग भी खाते खुलवा रहे हैं, जिनके पास पहले से ही बैंक खाते मौजूद हैं। लेकिन अभी तक यह पता...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close