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भूख नहीं जानती सब्र-- संजीव पांडेय

दुष्यंत कुमार का शेर है : भूख है तो सब्र कर, रोटी नहीं तो क्या हुआ। आजकल संसद में है जेरे-बहस ये मुद्दआ। शायर इसमें हुक्मरानों की खिल्ली उड़ा रहा है क्योंकि वह जानता है कि भूख सब्र नहीं जानती। इसके बावजूद हमारी व्यवस्था गरीबों का इम्तहान लेती रहती है। महज कुछ दिनों के अंतर पर ही झारखंड में भूख से तीन मौतें हुर्इं; उस राज्य में जो खनिज संसाधनों...

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गोरखपुर हादसे से लें सबक-- वरुण गांधी

गोरखपुर के बीआरडी हॉस्पिटल में 7 से 11 अगस्त के बीच साठ बच्चे मर गये. इस झकझोर देनेवाली घटना के लिए कई बातों को जिम्मेदार बताया जा रहा है. खबरों में बताया गया है कि इस अस्पताल में रोजाना इंसेफ्लाइटिलके 200-250 मरीज आ रहे हैं, जिनमें मृत्य दर 7 से 8 फीसदी है. अस्पताल और ऑक्सीजन सप्लायर के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है, इधर राप्ती नदी के तट...

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स्वास्थ्य व्यवस्था की दुर्दशा -- प्रो. योगेन्द्र यादव

स्वतंत्रता दिवस पर रेडियो गाना बजा रहा था- ‘आओ बच्चों तुम्हें दिखायें झांकी हिंदुस्तान की...' मेरा मन बार-बार गोरखपुर के उन बच्चों की तरफ जा रहा था, जो हिंदुस्तान की झांकी देखे बिना ही विदा हो गये. बिना इस मिट्टी से तिलक किये, बस ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ गये. ...ये धरती है बलिदान की! मैं सोचने लगा. काश स्वास्थ्य के मुद्दे पर राजनीति होती! काश सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य...

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ब्रांडेड दवाओं की महामारी-- आशुतोष चतुर्वेदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जेनेरिक दवाओं को अनिवार्य करने की घोषणा ने देश में एक नई बहस को जन्म दे दिया है. एक बड़ा तबका इसके समर्थन में खड़ा है तो दूसरी ओर डॉक्टरों का समुदाय और दवा कंपनियां इस घोषणा पर बेहद तल्ख प्रतिक्रिया व्यक्त कर रही हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की है कि उनकी सरकार ऐसा कानून बनाएगी, जिससे डॉक्टरों के लिए सस्ती जेनेरिक दवाएं लिखना अनिवार्य...

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मनमानी की दवा और मरीज-- पीयूष द्विवेदी

सरकार अगर जेनेरिक दवाओं के लिए कोई कानून लाती है, तो कुछ ऐसे प्रावधान किए जाने चाहिए। जो भी दवा जेनेरिक हो, उस पर मोटे अक्षरों में जेनेरिक लिखा रहे। डॉक्टर अबूझ लिखावट के बजाय साफ-साफ लिखें जिसे मरीज भी पढ़ सकें। यदि किसी बीमारी की जेनेरिक दवा होते हुए भी डॉक्टर गैर-जेनेरिक दवा लिखते हैं, तो उसका कारण स्पष्ट करें।   राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के जरिये देश के सभी तबकों के...

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