-डाउन टू अर्थ, संसद में पारित तीन कृषि विधेयकों के खिलाफ किसान सड़कों पर है। 25 सितंबर 2020 को पूरे देश भर में प्रदर्शन किए जा रहे हैं, लेकिन यह पहली बार नहीं है, जब केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में किसान धरना-प्रदर्शन कर रहे हों। जनवरी से सितंबर 2020 के बीच नौ माह में 20 राज्यों में कम से कम 50 बड़े प्रदर्शन हो चुके हैं, जबकि जनवरी, मई,...
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एक्शनएड सर्वे: लॉकडाउन लागू होने के बाद तीन-चौथाई से अधिक श्रमिक अपनी आजीविका से हाथ धो बैठे
एक्शनएड एसोसिएशन (एएए) द्वारा मई 2020 के आखिर तक तीसरे चरण के लॉकडाउन में राष्ट्रीय स्तर पर अनौपचारिक अर्थव्यवस्था पर निर्भर श्रमिकों के बीच सर्वेक्षण (14 मई और 22 मई, 2020 के बीच) किया है, जिसमें महामारी के दौरान प्रवासी श्रमिकों सहित अनौपचारिक श्रमिकों के जीवन और आजीविका में आए बदलावों और प्रभावों, उनके द्वारा अनुभव की गई रोजी-रोटी की अनिश्चितता और उससे निपटने के लिए उनके संघर्षों को दर्ज किया...
More »ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों को ठीक से लागू करने के लिए सरकारी कर्मचारी कहां हैं?
केंद्र सरकार द्वारा हर साल अपने वार्षिक बजट में ग्रामीण और कृषि क्षेत्रों के लिए भारी रकम आवंटित की जाती है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त संख्या में अधिकारी नहीं होते हैं, तो क्या अधिकारियों की कमी के चलते सरकार की विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों को ठीक से लागू किया जा सकता है? यदि हम इस मुद्दे के बारे में गहराई से सोचें तो हमें जवाब तो आसानी से मिल...
More »क्या मनरेगा के लिए आंवटित अतिरिक्त 40,000 करोड़ रुपये का राहत पैकेज लॉकडाउन के दौरान वापस लौटे प्रवासी मजदूरों के लिए मददगार साबित होगा ?
साल 2020 की शुरुआत में सामाजिक कार्यकर्ताओं और संबंधित अर्थशास्त्रियों ने साल 2020-21 के लिए गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) के तहत कम से कम 1 लाख करोड़ रुपये के आवंटन की मांग की. लेकिन 1 फरवरी को वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए मनरेगा के तहत केवल Rs.61,500 करोड़ आवंटित किए. जोकि 2019-20 में मनरेगा पर खर्च किए गए फंड की तुलना...
More »दूसरी ‘महामारी’
-इंडिया टूडे, बीमारी तो चली जाएगी लेकिन ‘महामारी’! करीब 80 बसंत देख चुके बाबा ने गांव लौटते मजदूरों को देखकर कपाल पर हाथ मारा तो लोग पूछ बैठे कौन-सी महामारी! बाबा बुदबुदाए, नहिं दरिद्र सम दुख... अनुभव-पके बाबा ने जो लॉकडाउन के दौरान देखा था वही अब आंकड़ों में उभर रहा है. वर्षों बाद भारत में प्रति व्यक्ति आय में कमी (5.7 फीसद) हुई है जो जीडीपी में गिरावट (3.8 फीसद) से...
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