चंडीगढ़. भारत की प्रगति दर बेशक 9 फीसदी है, लेकिन भारत के किसान खेती छोड़ खेतों और मंडियों में मजदूरी करने को मजबूर हैं। अकेले पंजाब में ही हर साल दस हजार किसान खेती छोड़ रहे हैं। पंजाबी यूनिवर्सिटी की ओर से करवाई गई यह स्टडी रिपोर्ट शुक्रवार को पंजाब यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों के साथ खाद्यान्न सुरक्षा और किसानों की आत्महत्या विषय पर करवाए गए सेमिनार में क्रिड के डायरेक्टर...
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..तो ठहर जाएगी पॉपुलेशन
हम तेजी से बदल रहे हैं। फैशन, स्टाइल के साथ हमारी लाइफस्टाइल और खानपान का ढंग भी बदल गया। इन चेंजेंज को भले ही प्रोग्रेस का सिंबल माना जा रहा हो पर सच यह भी है कि इनकी हमें भारी कीमत चुकानी पड़ी है। रोजाना, पैदा हो रही हैं अनजानी, अनसुनी बीमारियां। इससे बढ़कर अब तो सिचुएशन यहां तक खराब हो गई है कि इंसान की बच्चे पैदा करने की...
More »बेरोजगारी
एक नजर सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर लगातार ऊंची बनी होने के बावजूद भारत अपनी ग्रामीण जनता की जरुरत के हिसाब से मुठ्ठी भर भी नये रोजगार का सृजन नहीं कर पाया है। नये रोजगारों का सृजन हो रहा है लेकिन यह अर्थव्यवस्था के ऊंचली पादान के सेवा-क्षेत्र मसलन वित्त-जगत, बीमा, सूचना-प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी के दम पर चलने वाले हलकों में हो रहा है ना कि विनिर्माण और आधारभूत ढांचे के...
More »लघु ऋण
खास बात फिलहाल ३६ फीसदी ग्रामीण परिवार परिवार सांस्थानिक कर्जे के दायरे से बाहर हैं यानी सांस्थानिक कर्जे तक इनकी पहुंच नहीं है।* अगर प्रति परिवार दो हजार की सालाना रकम को आधार मानें तो ग्रामीण इलाके के गरीब परिवारों के लिए सालाना १५००० करोड़ रुपये के कर्जे की जरुरत होगी।* बड़े बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की ३३००० हजार शाखाएं गंवई इलाकों में और १४००० शाखाएं कस्बाई इलाकों में हैं। सहकारी बैंकों...
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