इस बार आम चुनाव के दो थीम सॉन्ग हैं- रोजगार और कैश ट्रांसफर। ये दोनों गरीबी हटाने के सपने का हिस्सा हैं। कैश ट्रांसफर के सारे वादे सीधे और स्पष्ट हैं, जो छह हजार रुपये सालाना से शुरू होकर 72 हजार रुपये तक जाते हैं, साथ में कुछ पेंशन योजनाएं वगैरह भी हैं। लेकिन रोजगार के बारे में इतनी स्पष्ट बात नहीं की जा रही। पिछली बार भारतीय जनता पार्टी...
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मोदीराज में बेरोज़गारी की दर 45 साल में सबसे ऊपर
नई दिल्ली: भारत में बेरोज़गारी की दर 45 साल में अपने सबसे ऊंचे स्तर पर 2017-18 में 6.1 प्रतिशत रही. इसने एक बार फिर मोदी सरकार के रोज़गार सृजन पर सवाल उठा दिया है. वहीं सरकार ने कहा है कि डाटा को नये तरीके से तैयार किया जा रहा था, इसलिए ये रिपोर्ट जारी नहीं की गई. नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस की रिपोर्ट जिसे सरकार ने दबा के रखा था, में...
More »अलविदा 2018: छाया रहा सरकार और आरबीआई के बीच विवाद
आरबीआई और सरकार के बीच कई आर्थिक मुद्दों पर मतभेद 2018 के आर्थिक जगत में छाए रहे। इसका गंभीर असर 10 दिसंबर को देखने को मिला, जब गवर्नर पद से उर्जित पटेल ने इस्तीफा दे दिया और नोटबंदी के प्रबल समर्थक और पूर्व वित्त सचिव शक्तिकांत दास ने कमान संभाली। केंद्र और आरबीआई में मतभेदों की शुरुआत जनवरी में हो गई जब पीएनबी घोटाला सामने आया। रिजर्व बैंक पर आऱोप लगा...
More »कृषि व्यवस्था दुरुस्त करना जरूरी-- वरुण गांधी
कुछ महीने पहले 30,000 से ज्यादा किसानों ने एक लाख रुपये प्रति एकड़ की पूरी कृषि ऋण माफी के साथ 50,000 रुपये सूखा मुआवजे की मांग को लेकर ठाणे से मुंबई तक मार्च किया. इस समय नासिक और मराठवाड़ा जिले के अलग-अलग हिस्सों में कई गांवों को पानी की कमी (औसतन 30 फीसद) का सामना करना पड़ रहा है, जबकि यहां के किसान पहले से ही कम फायदेमंद खरीफ फसलों...
More »सरकार-रिजर्व बैंक की रस्साकशी - विवेक कौल
भारतीय रिजर्व बैंकऔर भारत सरकार के बीच चल रही रस्साकशी धीरे-धीरे बाहर आ रही है। सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच थोड़ा-बहुत टकराव सिस्टम के लिए अच्छा होता है। मसलन, हर सरकार यह चाहती है कि ब्याज दरें कम से कम हों क्योंकि कम ब्याज दरों पर लोग जमकर कर्ज लेंगे और इससे अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ेगी, लेकिन सरकारें यह जरूरी बात या तो भूल जाती हैं या फिर उसकी...
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