पिछले वर्षों की तुलना में 2020 के दौरान भारत में आत्महत्याओं की कुल संख्या में वृद्धि हाल ही में सुर्खियों में रही है. जबकि कुछ मीडिया टिप्पणीकारों ने कहा है कि 2020 में आर्थिक संकट (नौकरी छूटने, आय में कमी, व्यवसाय में विफलता और बढ़ती भूख, अन्य कारणों के अलावा) के कारण अधिक आत्महत्याएं हो सकती हैं, अन्य ने कहा है कि घर में अलगाव और बिगड़ती मानसिक स्वास्थ्य स्थिति...
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युवाओं की बेरोजगारी के मामले में सबसे अमीर केरल और सबसे गरीब बिहार एक जैसे
-द प्रिंट, आगामी दशक में भारत अपनी आर्थिक संभावनाओं को कितना पूरा करेगा यह इस बात से तय होगा कि आज के युवाओं को कैसी शिक्षा मिलती है, वे क्या हुनर हासिल करते हैं, और आर्थिक अवसरों तक उनकी कितनी पहुंच होती है. पिछले सप्ताह के लेख में हमने यह देखा कि भारत में 20-29 आयुवर्ग की महिलाओं के जीवन की दिशा इतने वर्षों में किस तरह बदली है. अब इस लेख में...
More »राजनीतिक और आर्थिक परिदृष्य पर किसान लॉबी की वापसी
-रूरल वॉइस, गुरू पर्व के मौके पर 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन विवादास्पद कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा करने के साथ ही यह बात अब साफ हो गई है कि देश के राजनीतिक और आर्थिक परिदृष्य पर किसान लॉबी की वापसी हो गई है। आने वाले दिनों में राजनीति की दिशा के साथ ही आर्थिक नीतियों पर भी इसका असर देखने को मिलेगा। 1991 की आर्थिक उदारीकरण...
More »कॉप-26: सौ महीने से कम समय बाकी, इन वजहों से हो सकती है नतीजे मिलने में दिक्कत
-डाउन टू अर्थ, जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (कॉप-26) के तहत 31 अक्टूबर से 12 नवंबर के बीच चलने वाला 26वां संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन अपनी निर्धारित समय-सीमा से एक दिन आगे तक चला। वैश्विक जलवायु संकट से निपटने को अपने प्रयासों मे तेजी लाने के लिए अंततः इसमें ग्लासगो जलवायु समझौता (जीसीपी ) पर सहमति बनी। अंतिम सत्र में 197 देशों द्वारा तैयार जीसीपी में जिन सिद्धांतों का...
More »आईईए रिपोर्ट की चेतावनी, जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए स्वच्छ ऊर्जा निवेश करने में दुनिया बहुत पीछे
-न्यूजक्लिक, IEA (इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी) ने 13 अक्टूबर को प्रकाशित अपने 'वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक' 2021 में स्कॉटलैंड के ग्लासगो में इस महीने के अंत में होने वाली संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP26) की बैठक से पहले एक चेतावनी संदेश प्रकाशित किया है। इसमें कहा गया है कि वैश्विक उत्सर्जन को शुद्ध-शून्य स्तर प्राप्त करने के लिए निरंतर गिरावट में डालने के लिए दुनिया बहुत पीछे है। आईईए ने अपनी रिपोर्ट में...
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