हमारे देश में लाखों करोड़ों ऐसे सामान्य नागरिक हैं जो छोटे-छोटे कारोबार और उद्योग चलाते हैं परन्तु वे अक्सर औपचारिक और संगठनात्मक ऋण व्यवस्था के दायरे से बाहर ही रहते हैं, जबकि समग्र अर्थव्यवस्था में सामूहिक रूप में उनका सहयोग बहुत विशाल हो जाता है। यह मानना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का। इस संदेश के माध्यम से उन्होंने उन छोटे-छोटे व्यवसाय, दुकान चलाने वालों और यहां तक कि रेहड़ी-पटरी...
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नक्सली खौफ से छूटा गांव, खेत-खलिहान और घर
वेदप्रकाश मिश्रा, कांकेर। जिले में कई नक्सल पीड़ित परिवार समस्याओं के बीच किसी तरह जीवनयापन कर रहे हैं। नक्सलियों के खौफ ने उन्हें अपना घर, अपना गांव व अपने लोगों को छोड़ने पर विवश कर दिया। घर से बेघर हुए ये नक्सल पीड़ित परिवार के लोगों को आज भी अपने घर की याद आती है, लेकिन नक्सलियों का खौफ इस कदर हावी है कि वे अपने गांव जाने से डरते...
More »भारत में सिकुड़ता जा रहा है मध्यम वर्ग
दुनिया में एक तरफ जहां गरीबी कम होती जा रही है और मध्यम वर्ग व निम्न मध्यम वर्ग की संख्या में इजाफा हो रहा है। वहीं भारत में यह वर्ग सिकुड़ता जा रहा है। प्यू रिसर्च सेंटर की एक नई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। प्यू की नई शोध रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दुनिया के कई देशों में गरीबी के स्तर में गिरावट देखी गई है...
More »मोदी सरकार के 1 साल( विशेष आलेख, आलेख प्रभात खबर)
पिछले आम चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी का एक प्रमुख नारा था- ‘सबका साथ-सबका विकास'. अपने इस वादे पर अमल करते हुए सरकार ने पिछले एक साल में आम आदमी की समृद्धि और उन्हें आर्थिक सुरक्षा मुहैया कराने के उद्देश्य से कई नयी योजनाएं शुरू कीं. कुछ पिछली योजनाओं में भी तब्दीली करते हुए उन्हें नये नाम और प्रारूप में शुरू किया गया. जन-धन, बीमा और पेंशन आदि से जुड़ी...
More »कंपनी बड़ी या देश-- अरविन्द कुमार सेन
नोबेल पुरस्कार विजेता पॉल क्रुगमैन ने दो दशक पहले शोध पत्रिका हॉवर्ड बिजनेस रिव्यू में ‘देश एक कंपनी नहीं है' शीर्षक से शोध-पत्र लिखा था। यह शोध-पत्र उस दौर में प्रकाशित हुआ था, जब भुगतान संतुलन की बीमारी से दो-चार हो रही भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक संगठन की अगुआई में नवउदारवादी नीतियां थोपी जा रही थीं। हर तरफ आर्थिक सुधारों की मार्फत अर्थव्यवस्था को...
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