[inside] इंडिया में आर्थिक असमानता: “अरबपति राज” में ब्रिटिश राज से भी ज्यादा है असमानता - रिपोर्ट [/inside] इंडिया के भौगोलिक आकार और जनसंख्या, जो अब दुनिया में सबसे अधिक है, को देखते हुए इंडिया में आर्थिक विकास का वितरण विश्व की आर्थिक असमानता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। इसलिए इंडिया में आय और संपत्ति की असमानता को सटीक रूप से मापना अत्यधिक आवश्यक है। हाल ही में वर्ल्ड इनइक्वलिटी डाटाबेस ने...
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ये कैसी आजादी और कैसा महोत्सव? जहां शिक्षा है न ही मूलभूत सुविधाएं
जनचौक, 24 अगस्त अगर हम आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के आलोक में “हर घर तिरंगा” अभियान से फायदे की बात करें, तो मीडिया से आने वाली खबरें बताती हैं कि केन्द्र सरकार को 500 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का लाभ हुआ है। 30 करोड़ से भी ज्यादा राष्ट्रीय झंडा तिरंगा की बिक्री हुई है। वहीं जब हमने झारखंड में ‘हर घर तिरंगा’ के तहत बांटे जा रहे झंडा के बाबत...
More »झारखंड: बारिश न होने के कारण किसानों ने धान की उम्मीद छोड़ी
डाउन टू अर्थ 23 अगस्त 52 साल के महेंद्र का गांव झारखंड के हजारीबाग जिले के कटकम प्रखंड में है। उन्होंने डाउन टू अर्थ से कहा, “मेरे गांव बानादाग में पिछली बारिश तो काफी अच्छी हुई थी। 27 जुलाई से पहले ही रोपाई पूरी कर ली थी हमने, लेकिन इस बार बारिश ही नहीं हुई।बिचड़ा डाले हुए 45 दिन हो गए हैं। अब धान रोपने का कोई फायदा नहीं है। क्योंकि...
More »भारत की खाद्य चिंताएं बढ़ीं, अनियमित मॉनसूनी बारिशों से धान की रोपाई 13% पिछड़ी
दिप्रिन्ट, 30 जुलाई कृषि मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, अनियमित मॉनसूनी बारिशों ने खरीफ की मुख्य फसल धान की रोपाई को बुरी तरह प्रभावित किया है. धान रोपाई का क्षेत्र, जिसे पूरे देश में उगाया और खाया जाता है, पिछले साल के मुक़ाबले 13 प्रतिशत कम हो गया है. भारत दुनिया में चीन के बाद चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और शीर्ष निर्यातक है, जिसकी चावल...
More »ग्राउंड रिपोर्टः धुंआ और राख के बीच घुटती लाखों जिंदगियां
जनचौक, 15 जुलाई जब मेरे इलाके में फैक्ट्रियां लगनी शुरू हुई थीं, तो मेरी उम्र लगभग 40 साल थी। मेरे गांव वाले बहुत खुश थे कि अब हमें रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में नहीं जाना पड़ेगा। हमारे इलाके में नये-नये अस्पताल व विद्यालय भी खुलेंगे, चमचमाती सड़कें बनेंगी। लेकिन आज 30 साल बाद जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं, तो महसूस होता है कि विकास के नाम पर हमारे इलाके...
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