पुणे : सार्वजनिक क्षेत्र के बैकों को और अधिक पेशेवर बनाने के लिए साहसी सुधारों की प्रतिबद्धता जताते हुए वित्तमंत्री अरूण जेटली ने आज बैंकरों को भरोसा दिलाया कि उन्हें 'जोखिम उठाना होगा' और सरकार उनके वाणिज्यिक फैसलों का बचाव करने को तैयार है. जेटली यहां बैंकों व वित्तीय संस्थान प्रमुखों के दो दिवसीय सम्मेलन ज्ञान संगम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि सरकार गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) घटाने में...
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लोस में उठी डाक घर को सुदृढ़ करने की मांग
प्रभात खबर,नयी दिल्ली : लोकसभा में आज सदस्यों ने डाकघरों की हालत को सुदृढ करने और वहां बुनियादी सुविधाओं का विस्तार करने की सरकार से मांग की. सदन में शून्यकाल के दौरान भाजपा के विक्रम उसेंडी ने छत्तीसगढ के बस्तर क्षेत्र में डाक घरों में बुनियादी सुविधायें विकसित करने और डाक घर के भवनों का निर्माण करने की मांग की. उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में डाक विभाग के पास...
More »विश्वबैंक का विकासशील देशों में निराशाजनक वृद्धि का अनुमान
वाशिंगटन : विकासशील देश की वृद्धि दर इस साल निराशाजनक रहेगी. यह बात विश्वबैंक ने अपनी वैश्विक आर्थिक संभावना (जीइपी) की रपट में कही जिसमें इस साल विकासशील देशों की वृद्धि दर 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जाहिर किया गया है जबकि जनवरी में 5.3 प्रतिशत वृद्धि की संभावना व्यक्त की गई थी. अपनी ताजातरीन रपट में बैंक ने विकासशील देशों के लिए वृद्धि का अनुमान घटाया है और इस साल उसे...
More »दामोदर की जीवन रेखा को चाहिए जीवन दान- उमा(धनबाद)
-आजाद भारत की प्रथम बहु-उद्देशीय नदी परियोजना दामोदर घाटी निगम पर संकट के बादल- बाढ़ जैसी भीषण प्राकृतिक आपदा को नियंत्रित करते हुए जीवन को रोशन करने के मकसद से 66 साल पहले 7 जुलाई, 1948 को अस्तित्व में आयी आजाद भारत की प्रथम बहु-उद्देशीय नदी परियोजना दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) की जीवन रेखा आज जीवन दान के लिए तरस रही है. 27 मार्च, 1948 को डीवीसी का गठन भारत के संसद...
More »विकास के मॉडल का सवाल- के पी सिंह
जनसत्ता 22 मई, 2014 : चुनाव प्रचार के दौरान विकास के बहुतेरे मॉडल विभिन्न राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों की ओर से प्रस्तुत किए गए। इससे पहले के चुनावों में भी विकास का कोई न कोई खाका पेश करके राजनीतिक दल मतदाताओं का विश्वास हासिल करते रहे हैं। इसके बावजूद ग्रामीण और दुर्गम पहाड़ी अंचलों में अधिकतर नागरिक आज भी स्वच्छ पेयजल और अन्य मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जी रहे...
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