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अदालतों में तारीख पर तारीख, सौ साल से एक केस में दांव-पेंच

रायपुर (निप्र)। अदालतों में जजों की कमी और मामलों के निपटारे में देरी कोई नई बात नहीं है, लेकिन जमीन-जायदाद के छोटे-मोटे विवाद में सौ बरस में फैसला नहीं हो पाना बड़ी बात है। हालात यह हैं कि अदालतों में ऐसी-ऐसी कानूनी दांव-पेंच और उलझनें हैं कि पीढ़ी दर पीढ़ी मामले चल रहे हैं और नतीजे नहीं निकल पा रहे हैं। अदालत के तारीख पर तारीख के चक्कर में राजधानी...

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99 पद, 4000 अभ्यर्थी सफल हुए सिर्फ नौ

पटना: राज्य के व्यवहार न्यायालयों में अपर जिला सत्र न्यायाधीश (एडीजे) के 99 पदों के लिए हुई परीक्षा में सिर्फ नौ अभ्यर्थी सफल हो पाये हैं. लंबी नियुक्ति प्रक्रिया के बाद जब अंतिम परिणाम घोषित हुआ, तो 90 पद खाली रह गये. इन 90 पदों के लिए एक भी अभ्यर्थी ऐसा नहीं मिला, जो साक्षात्कार के मानकों पर खरा उतर पाये. पिछली बार एक भी अभ्यर्थी...

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कोलेजियम प्रणाली में सुधार पर फैसला बुधवार को

नई दिल्ली। कोलेजियम प्रणाली में पारदर्शिता लाने पर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला बुधवार को सुना सकती है। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में न्यायधीशों की नियुक्ति के लिए 1993 में न्यायधीशों की कोलेजियम प्रणाली का गठन किया गया था। हाल ही में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार के राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम को खारिज कर दिया और 99वें संविधान संशोधन को निरस्त कर दिया। इस फैसले...

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न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता महत्वपूर्ण : सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति पर ‘प्रक्रिया का ज्ञापन' केंद्र और प्रधान न्यायाधीश के परामर्श से तैयार किया जाये. उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति में पारदर्शिता महत्वपूर्ण है और यह एमओपी में परिलक्षित होना चाहिए. उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए दिशा निर्देश के रूप में एमओपी में साफ तौर पर न्यूनतम आयु इत्यादि...

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जजों की नियुक्ति : अपने-अपने तर्क

कॉलेजियम सिस्टम पर चल रही बहस के दो छोर हैं। एक का दावा है कि हमारे देश के सर्वशक्तिमान न्यायाधीशों की नियुक्ति और तबादले का अधिकार कुछ न्यायाधीशों के पास केवल इसलिए रहना चाहिए, क्योंकि वे न्यायपालिका परिवार का हिस्सा होने के कारण उनके बारे में बेहतर समझ रखते हैं। दूसरा छोर कहता है कि उसमें आम जनता के नुमाइंदों की भी भागीदारी होनी चाहिए, क्योंकि न्यायाधीश केवल न्यायपालिका के...

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