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दुनिया भर में कृषि में उपयोग होने वाले फास्फोरस में 70 से 80 फीसदी सुधार की जरूरत

डाउन टू अर्थ, 26 अक्टूबर शोधकर्ताओं ने खेतों में फास्फोरस बजट की मात्रा निर्धारित करने वाला अपनी तरह का पहला अध्ययन जारी किया है। यह खाद्य उत्पादन तथा विभिन्न क्षेत्रों में पोषक तत्व प्रबंधन में कमी की पहचान करने में मदद करेगा। यह नया डेटाबेस अलग-अलग देशों और क्षेत्रों को फास्फोरस से होने वाले प्रदूषण और इसकी कमी की चुनौतियों से निपटने में मदद करेगा। साथ ही, यह विभिन्न देशों के फास्फोरस...

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केवल रोजगार के आंकड़े काफी नहीं, रोजगार में गुणपूर्णता जरूरी!

बेहतर आर्थिक वृद्धि मौजूदा दौर के हर ‘राष्ट्र राज्य’ की पहली प्राथमिकता है। और इस प्राथमिकता को हासिल करने के लिए जरूरी है अर्थव्यवस्था का पहिया तेज गति से घूमे। पहिए की गति उत्पादन (प्रोडक्शन) पर निर्भर करती है। जितना अधिक उत्पादन होगा उतने ही अधिक गति से पहिया दौड़ेगा। उत्पादन मुख्यत दो कारकों पर टिका रहता है–पहला पूंजी और दूसरा मजदूर। लेकिन मशीनें आ जाने के बाद उत्पादन के मामले में...

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33 फीसदी से अधिक नुकसान वालों को मुआवजा, कई जिलों में सर्वे के लिए बाढ़ निकलने का इंतजार

डाउन टू अर्थ, 12 अक्टूबर उत्तर प्रदेश में करीब एक सप्ताह से जारी बरसात का सिलसिला अभी टूटा नहीं है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिले बाढ़ग्रस्त हो गए हैं जहां रेस्क्यू का काम जारी है। इस बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने अभी 24 जिलों में फसल नुकसान के आकलन के आधार पर मुआवजे का ऐलान किया है। इन 24 जिलों में 3.56 लाख किसानों की पहचान हुई है जिनकी फसल...

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मुफ्त अनाज स्कीम से कैसे गुजरात-हिमाचल प्रदेश के चुनावों में फ़ायदा उठा सकती है भाजपा

दिप्रिंट, 07 अक्टूबर केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) से चुनावी राज्य गुजरात में आबादी के एक महत्वपूर्ण हिस्से को फायदा पहुंचने की उम्मीद है. सरकारी आंकड़ों से यह बात सामने आई है. इस योजना को पिछले सप्ताह अगले तीन महीने यानी दिसंबर 2022 तक के लिए बढ़ा दिया गया है. सरकारी आंकड़ों के दो सेटों का विश्लेषण – 2020 के लिए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण और पीएमजीकेएवाई लाभार्थियों...

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मोदी सरकार तीन महीने और बढ़ा सकती है मुफ्त खाद्यान्न कार्यक्रम : रिपोर्ट

एनडीटीवी इंडिया, 27 सितम्बर  जानकारों के अनुसार भारत अपने मुफ्त खाद्यान्न कार्यक्रम को तीन महीने तक और बढ़ा सकता है. यह कार्यक्रम देश की अधिकांश आबादी को कवर करता है और इसकी सालाना लागत 18 बिलियन डॉलर (करीब डेढ़ खरब रुपये) से अधिक है. पहचान जाहिर न करते हुए मामले के जानकारों ने कहा है कि सरकार दिसंबर तक लगभग 80 करोड़ लोगों को मुफ्त चावल या गेहूं देना जारी रख...

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