SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 963

बनारस के मुसहर गांवों में चिंता का सबब बन रहा है कुपोषण का दोहरा बोझ

-जनपथ, आर्थिक मशीनरी की विफलता के कारण बच्‍चों के अस्तित्व, स्वास्थ्य और पोषण पर कोविड-19 का प्रभाव व्यापक रहा है। वाराणसी जिले के बड़ागांव प्रशासनिक ब्लॉक के अन्‍नाई और पड़ोसी गांवों में पाया गया कि वहां के निवासी दलितों के बीच सबसे ज्यादा हाशिये वाले मुसहर समुदाय के बच्चे आम तौर से कुरकुरे, चिप्स और क्रीम बिस्कुट सहित सस्ते पैकेज्ड खाद्य पदार्थ खाते हैं, जिनमें नमक और चीनी का स्तर अधिक...

More »

पंजाब सरकार का ड्रग्स के खिलाफ युद्ध का पाखंड

-कारवां, दिसंबर 2015 में पंजाब का बठिंडा जिला तरह-तरह की गतिविधियों की हलचल से भरा था. राज्य में शिरोमणि अकाली दल की सरकार थी और प्रकाश सिंह बादल मुख्यमंत्री थे. अभी नई-नई बनी आम आदमी पार्टी दिल्ली के अपने इलाके से बाहर जमने के लिए हाथ-पैर मार रही थी और इस कोशिश में थी कि राष्ट्रीय राजनीति में उसका दखल हो सके. मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस 2017 के विधानसभा चुनावों के...

More »

मतदाता पहचान कार्ड, सूची को आधार से जोड़ने सहित चुनाव सुधार संबंधी विधेयक को लोकसभा की मंजूरी

-न्यूजक्लिक, लोकसभा ने सोमवार को निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक, 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी। इसमें मतदाता सूची में दोहराव और फर्जी मतदान रोकने के लिए मतदाता पहचान कार्ड और सूची को आधार कार्ड से जोड़ने का प्रस्ताव किया गया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को चुनाव सुधारों से जुड़े इस विधेयक के मसौदे को अपनी मंजूरी दी थी। इस विधेयक के मसौदे में कहा गया है कि मतदाता सूची में दोहराव...

More »

शहरीकरण, लैंगिक और सामाजिक परिवर्तन: क्या कामकाजी महिलाएं अधिक स्वायत्तता अनुभव करती हैं?

भारत में महिलाओं की कार्य में सीमित भागीदारी न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका असर उनके कल्याण और सामाजिक स्थिति पर भी होता है। यह लेख, उत्तर भारत के चार शहरी समूहों में किये गए एक घरेलू सर्वेक्षण के आधार पर, महिलाओं की कामकाजी स्थिति और पारिवारिक निर्णय के बारे में उनके स्वायत्तता के बीच एक मजबूत संबंध पाता है, जो भारत में महिलाओं और कामकाज के बीच...

More »

गुणवत्तापरक शिक्षा तथा मानवाधिकार का सवाल और हमारी जिम्मेदारी

-जनपथ, किसी भी जीवात्मा के मानव जाति में प्रवेश के साथ ही उसको कुछ नैसर्गिक अधिकार प्राप्त हो जाते हैं जो उसके सम्मानपूर्वक जीवन जीने का आधार बनते हैं। भारत के लिए मानवाधिकार कोई नई अवधारणा नहीं है। भारतीय संस्कृति में मानव के कल्याण की हमेशा कामना की जाती है जो कि मानवाधिकार का मूल स्रोत है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 10 दिसम्बर 1948 को मानवाधिकार के सार्वभौमिक घोषणा पत्र को...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close