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झरिया: कभी हरे भरे थे पहाड़, आज धधकती आग और सुनसान खदानों के साए में रह रहे हैं लोग

डाउन तू अर्थ, 9 जून एक बार फिर झारखंड का झरिया चर्चा में है। यहां खदान में चाल धंसने के कारण दो लोगों की मौत हो गई। आखिर झरिया क्यों लोगों की कब्रगाह बनता जा रहा है। इस रिपोर्ट से समझें-  भारत के पूर्वी राज्य झारखंड का झरिया क्षेत्र कभी हरे-भरे पहाड़ों से घिरा था। कभी इस क्षेत्र में जिंदगी खुशहाल थी। लेकिन आज लोग यहां सुनसान खदानों और धधकती आगे के...

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राप्ती नदी में हर रोज गिर रहा 500 टन नगरीय कचरा, प्रोसेसिंग प्लांट का निर्माण अधूरा

डाउन टू अर्थ, 30 मई उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में नगर निगम द्वारा राप्ती नदी की धारा में हर रोज 500 टन नगरीय कचरा गिराया जा रहा है। वहीं, अभी तक निस्तारण के लिए कूड़ा प्रोसेसिंग प्लांट का काम भी पूरा नहीं किया जा सका है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने एनजीटी में अपनी रिपोर्ट दाखिल करते हुए कहा है कि सुथनी गांव में 500 टन प्रति दिन का...

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दिल्ली के कई इलाकों में अवैध रूप से चल रही हैं रंगाई फैक्ट्रियां

डाउन टू अर्थ, 24 मई सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त निगरानी समिति संबंधित अधिकारियों के साथ मिलकर बिंदापुर, मटियाला, रणहोला, ख्याला, मीठापुर, बदरपुर, मुकुंदपुर और किरारी में अवैध रूप से चल रही रंगाई फैक्ट्रियों की जांच करेगी। इस मामले में आवेदक वरुण गुलाटी ने कोर्ट के समक्ष आवेदन दायर किया था। इसे ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति से कहा है कि वरुण गुलाटी...

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जानलेवा प्रदूषण: पारंपरिक चूल्हों की तुलना में दो गुणा ज्यादा पीएम0.1 उत्पन्न करते हैं उन्नत कुकस्टोव

डाउन टू अर्थ 16 मई आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पारंपरिक चूल्हों की तुलना में उन्नत कुकस्टोव कहीं ज्यादा मात्रा में प्रदूषण के अत्यंत महीन कणों का उत्सर्जन करते हैं। देखा जाए तो इन उन्नत चूल्हों का विकासशील देशों में खाना पकाने के लिए बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। लेकिन हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ सरे ने अपने अध्ययन में इस बात की पुष्टि की है कि यह...

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राजस्थानः फैक्ट्री के प्रदूषण से फसल और लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव, प्रदूषण बोर्ड ने फैक्ट्री को दिया क्लीन चिट

मोंगाबे हिंदी, 8 मई सुभाष वैष्णव, 52, राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के गुलाबपुरा कस्बे में रहते हैं। वह हर दिन सुबह 5 बजे उठते हैं और घर के रोजमर्रा के कामों को निपटा कर अपनी दुकान खोलने के लिए निकल पड़ते हैं। उनकी दुकान यहां से 20 किलोमीटर दूर, उनके पैतृक गांव रूपाहेली कला में स्थित है। चार साल पहले वैष्णव ने अपनी 30 साल पुरानी बिजली की दुकान और रूपाहेली...

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