17वीं लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया संपन्न हो गयी है लेकिन सात चरणों के इस चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों के बयानवीर नेताओं और मीडिया की भूमिका सुर्खियों में रही। नतीजा यह हुआ कि न्यायपालिका ने राजनीतिक दलों के नेताओं को कटुता पैदा करने वाले भाषणों के लिये आड़े हाथ लेने के साथ ही इस तरह के भाषणों और बयानों को प्रमुखता देने की मीडिया की भूमिका पर भी नाराजगी व्यक्त...
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मुद्दों से ज्यादा प्रचार पर भरोसा-- संजय कुमार
चुनाव अभियानों का रूप-रंग हाल के वर्षों में काफी बदल चुका है। हालांकि किसी प्रत्याशी को अब अपने प्रचार के लिए निर्वाचन आयोग दो सप्ताह का ही वक्त देता है, जबकि पहले 21 दिन का समय मिलता था, लेकिन व्यावहारिक तौर पर अब चुनाव अभियान अतीत की तुलना में कहीं अधिक व्यापक हो गया है। मौजूदा लोकसभा चुनाव के लिए भी आधिकारिक तौर पर चुनाव अभियान की शुरुआत पहले चरण...
More »पुलिस का सबसे मुश्किल इम्तिहान- विभूति नारायण राय
वर्ष 1977 की शुरुआत। देश में सनसनी और उत्तेजना की बयार बह रही थी। किसी बडे़ अंधड़ की तरह आपातकाल देश को झिझोड़ता-झकझोरता गुजर चुका था और हम सभी विनाश की दृश्य और अदृश्य स्मृतियों को बुहारने में लगे थे। इसी समय देश का वह चुनाव हुआ, जिसने भारतीय समाज और राजनीति का परिदृश्य लंबे समय के लिए बदल दिया। यह वर्ष मेरे अनुभव संसार में भी बहुत कुछ जोड़ने...
More »चुनावी हंगामे में रोजगार का मसला- हरजिंदर
इस बार आम चुनाव के दो थीम सॉन्ग हैं- रोजगार और कैश ट्रांसफर। ये दोनों गरीबी हटाने के सपने का हिस्सा हैं। कैश ट्रांसफर के सारे वादे सीधे और स्पष्ट हैं, जो छह हजार रुपये सालाना से शुरू होकर 72 हजार रुपये तक जाते हैं, साथ में कुछ पेंशन योजनाएं वगैरह भी हैं। लेकिन रोजगार के बारे में इतनी स्पष्ट बात नहीं की जा रही। पिछली बार भारतीय जनता पार्टी...
More »पीएम-किसान सम्मान निधि योजना: आखिर किन किसान परिवारों को सहायता मिलेगी ?
‘पैसा ना कौड़ी, बीच बाजार में दौड़ा-दौड़ी’- क्या आपने कभी ये कहावत सुनी है? इस कहावत का ठीक-ठीक अर्थ समझना हो तो इस बार के अंतरिम बजट की एक खास घोषणा को गौर से पढ़िये! घोषणा हुई है कि दो हैक्टेयर तक की जोत वाले किसानों को सालाना आमदनी-सहायता के रुप में छह हजारे मिलेंगे, रुपया सीधा किसानों के बैंक-खाते में जायेगा. लेकिन क्या आपने अंतरिम वित्तमंत्री के अंतरिम बजट के हिसाब किताब पर...
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