पूरे देश की ही तरह मध्य प्रदेश के अर्थतंत्र की रीढ़ भी खेती है। इसी खेती ने 2008 की विश्व मंदी में भी देश की अर्थव्यवस्था को डूबने से बचाया था। हालांकि, यही खेती खुद भी कभी सूखे तो कभी अतिवृष्टि की शिकार होती रही है। नईम की इन पंक्तियों की तर्ज पर कि 'सूखे का हुआ कभी/कभी हुआ बाढ़ का/पहला दिन मेरे आषाढ़ का"। इस बार आषाढ़ तो नहीं मगर...
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60% तक फसल तबाह कर देती है नीलगाय
जंगली जानवरों में अकेले नीलगाय 20 से 60 प्रतिशत तक फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं जिससे किसानों को भारी क्षति होती है। उन्हें कोई मुआवजा भी नहीं मिलता है जबकि हाथी , जंगली सूअर , भालू , बंदर और लंगूर के कारण बागवानी और अन्य फसलों को क्षति पहुंचती है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा जंगली जानवरों से फसलों को होने वाले नुकसान को लेकर मोटे तौर पर किये...
More »समझ, संकल्प और इच्छाशक्ति का अकाल : योगेन्द्र यादव
वो गांव गये थे..दावा है कि गांव-गांव यात्रा किये हैं..खेत-खेत, आरी-डरेड़ा सब जगह घूमें। उन्हें ऐसा इसलिए करना पड़ा क्योंकि देश सूखे से बेहाल और सरकार दो साल के जश्न में निहाल है। उनका दावा है कि अभी दिल दिमाग जाग्रत है माने नहीं सूखा..भले ही खेत सूख गये हों..किसान बदहाल हो..आत्महत्या कर रहा हो। जी हां मैं बात कर रहा हूं स्वराज अभियान के योगेंद्र यादव और उनके साथियों की...
More »बिन पानी सब सून : देश के दस से ज्यादा राज्यों में हालात गंभीर
सूखे का संकट रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून। पानी गये न उबरे, मोती मानुष चून॥ हिमांशु ठक्कर वर्षों पूर्व रहीम की वाणी ने जिस संकट के प्रति आगाह किया था, वह आज फिर यथार्थ के रूप में हमारे सामने है. कुछ माह पहले तक सूखे का जो संकट मराठवाड़ा और बुंदेलखंड जैसे कुछ इलाकों तक सीमित था, वह अब देश के दस से ज्यादा राज्यों में फैल चुका है. सूखे और...
More »महाराष्ट्र में आत्महत्या का प्रयास करने वाले किसान की मौत
मुंबई। तीन दिन पहले महाराष्ट्र सचिवालय के सामने कीटनाशक पीकर आत्महत्या का प्रयास करने वाले किसान माधव कदम की मौत हो गई। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इस आशय की जानकारी दी। माधव सूखे का सामना कर रहे मराठवाड़ा क्षेत्र के नांदेड़ जिले के रहने वाले थे। माधव ने बुधवार को सचिवालय के सामने स्थित नए प्रशासनिक भवन के गेट पर कीटनाशक क्लोरिफायरोफॉस पी लिया था। अधिकारी ने बताया, 'माधव को...
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