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2021-22 की पहली तिमाही के जीडीपी आंकड़े बढ़ा-चढ़ाकर पेश किये गए: आर्थिक झटके कार्यपद्धति पर प्रश्न खड़े कर रहे हैं

-न्यूजक्लिक, डॉ. अरुण कुमार के अनुसार वार्षिक एवं त्रैमासिक जीडीपी के आंकड़ों का अनुमान लगाने में प्रणालीगत त्रुटियाँ हैं, खासकर तब जब अर्थव्यवस्था ही खुद झटके की मार को झेल रही हो। ऐसे दौर में पिछले वर्ष के अनुमानों का सहारा लेकर वार्षिक अनुमानों को चार तिमाहियों में विभाजित करने और उत्पादन लक्ष्यों का इस्तेमाल कर उसे ही हासिल कर लिया गया मान लेने से हम सही नतीजों तक नहीं पहुँच सकते...

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भारतीय अर्थव्यवस्था में त्योहारों के उत्साह का माहौल है, उम्मीद है यह कायम रहेगा

-द प्रिंट, ये त्योहारों के दिन हैं और शेयर बाज़ार की तेजी बाकी अर्थव्यवस्था के लिए नयी खबर लेकर आई है, या कह सकते हैं कि इसके विपरीत भी हो रहा है. निर्यात में उछाल बनी हुआ है, टैक्स से आमदनी में भी वृद्धि हो रही है, औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े आशा जगा रहे हैं, मुद्रास्फीति में गिरावट आ रही है, बैंकों में खराब कर्जों की तादाद घट रही है, कॉर्पोरेट...

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बढ़ती महंगाई के बीच लगातार आठवीं बार RBI ने नहीं बदली ब्याज दरें, EMI पर भी कोई राहत नहीं

-द प्रिंट, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को उम्मीद के अनुरूप प्रमुख नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर पर बरकरार रखा. यह लगातार आठवां मौका है जबकि केंद्रीय बैंक ने रेपो दर को जैसा का तैसा रखा है. इसके साथ केंद्रीय बैंक ने कोविड-19 की दूसरी लहर के बाद अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेतों के बीच अपने मौद्रिक रुख को नरम बनाये रखने...

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क्या हम भारतीय कृषि क्षेत्र में घटती किसानी आमदन के साक्षी हैं?

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के 77वें दौर के सर्वेक्षण पर आधारित 'ग्रामीण भारत में परिवारों की स्थिति का आकलन और परिवारों की भूमि जोत, 2019', हाल ही में जारी स्थिति आकलन सर्वेक्षण इस तथ्य को स्थापित करता है कि किसान परिवार अपनी आजीविका के लिए 'खेती-बाड़ी से शुद्ध आय' के बजाय मजदूरी पर अधिक से अधिक निर्भर हैं. मार्क्सवादी शब्दावली में, सर्वहाराकरण (एक शब्द जिसे हम निर्वासन के लिए शिथिल रूप से उपयोग कर सकते हैं) उस प्रक्रिया...

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जलवायु परिवर्तन: भारत कोयले के बिना क्यों नहीं रह सकता है?

-बीबीसी, भारत दुनिया का ऐसा तीसरा सबसे बड़ा देश है जो बड़े पैमाने पर जीवाश्म ईंधनों को निकालता है और उसमें भी वो सबसे अधिक कोयला निकालता है. दुनिया के बड़े देश मांग कर रहे हैं कि कोयले का खनन कम किया जाना चाहिए. यह भारत जैसे तेज़ी से विकास कर रहे देश के लिए कितना मुश्किल है कि वो अपने सबसे महत्वपूर्ण ऊर्जा स्रोत को खो दे? भारत में जलवायु परिवर्तन से...

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