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भूख नहीं जानती सब्र-- संजीव पांडेय

दुष्यंत कुमार का शेर है : भूख है तो सब्र कर, रोटी नहीं तो क्या हुआ। आजकल संसद में है जेरे-बहस ये मुद्दआ। शायर इसमें हुक्मरानों की खिल्ली उड़ा रहा है क्योंकि वह जानता है कि भूख सब्र नहीं जानती। इसके बावजूद हमारी व्यवस्था गरीबों का इम्तहान लेती रहती है। महज कुछ दिनों के अंतर पर ही झारखंड में भूख से तीन मौतें हुर्इं; उस राज्य में जो खनिज संसाधनों...

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ताजा भूख सूचकांक में भारत-- सुभाष गताड़े

आज वर्ल्ड फुड डे (विश्व अन्न दिवस) है, जिसके जरिये भूख के खिलाफ मानवता के संघर्ष के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहरायी जानी है. इस दिवस पर भारत में भी सरकारी स्तर पर आयोजन होते हैं. विडंबना ही है कि भारत में बढ़ती भूख के ताजा आंकड़े इस पूरी आपाधापी में कुछ बेसुरे ही मालूम होंगे. क्योंकि, हाल में दो अलग-अलग रिपोर्टों ने भारत में विकराल होती भूख की समस्या पर...

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मिड डे मील मांगा, हेडमास्टर ने कहा, जहां जाना है जाओ, नहीं मिलेगा

मिड डे मील मांगने पर हेडमास्टर ने कहा, जहां जाना है जाओ, नहीं मिलेगा बक्सर : सदर प्रखंड के करहसी राजकीय बुनियादी मध्य विद्यालय के हेडमास्टर से सोमवार की दोपहर बच्चों ने मध्याह्न भोजन की मांग की. इस पर हेडमास्टर शंकर तिवारी ने बच्चों को डांट दिया और कहा कि जहां जाना है जाओ. मध्याह्न भोजन नहीं मिलेगा. यह सुनते ही विद्यालय के बच्चे आक्रोशित हो गये और थाली पीटते...

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नोटबंदी की मार : बिहार के लोगों के हाथों से छिन गया काम..

पटना : नोटबंदी से राज्य से बाहर काम करनेवाले बिहार के कामगारों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है. काम बंद होने से मजबूरी में उन्हें घर लौटना पड़ रहा है. आठ-10 वर्ष पहले भी दूसरे प्रदेशों में काम करनेवाले बिहार के कामगार बड़ी संख्या में घर लौटे थे, लेकिन उस समय वे बिहार के हालत में जो सुधार आया था, उससे प्रेरित होकर लौटे थे. उन्हें एक...

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कहानी रोशनी की और नौ लाख अति कुपोषित बच्चों के जीवन का सच

वैसे तो यह पूर्णिया जिले के सुदूरवर्ती गांव चंदरही की एक बच्ची और उसके परिवार की कथा है, मगर इस कथा में झांकेंगे तो बिहार के नौ लाख गंभीर रूप से अतिकुपोषित बच्चों के पारिवारिक जीवन की झलक मिलेगी. यहां एक मां है, जिसकी 12 साल की उम्र में शादी हो गयी. परिवार नियोजन के उपायों का पता नहीं था, सो 11 बच्चे हो गये. उनमें से पांच बेहतर स्वास्थ्य...

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