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गन्ने की कीमत से आगे- अपूर्वानंद

जनसत्ता 10 दिसंबर, 2013 : उत्तर प्रदेश से अब गन्ना उगाने वाले किसानों के मिल मालिकों से संघर्ष की खबरें आ रही हैं। यह संघर्ष जोरदार है। और एक तरह से इसे सफल जन संघर्ष कहा जा सकता है। इसने मुजफ्फरनगर की तीन महीने से चली आ रही हिंसा की खबरों को पीछे धकेल दिया है। कम से कम हिंदी अखबारों में। इस आंदोलन में भारतीय राष्ट्रीय  लोक दल के लोग...

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चिंता ओजोन परत की

आज ‘ओजोन परत संरक्षण दिवस’ है. धरती के चारों ओर फैली ओजोन परत की सुरक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करने के मकसद से यह दिवस हर साल 16 सितंबर को दुनियाभर में मनाया जाता है. इस मौके पर जानते हैं कि क्या है ओजोन परत और इसे बचाना क्यों है जरूरी.. ।।नॉलेज डेस्क।। तकनीकी विकास के साथ इनसान ने खुद के लिए ही एक कब्र खोदना शुरू कर दिया. शुक्र है...

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लूट की छूट- आशीष खेतान

छत्तीसगढ़ में प्राकृतिक संसाधनों का अकूत भंडार है, लेकिन ऐसा लगता है कि इसका फायदा सिर्फ उन्हीं लोगों को हो रहा है जिन पर मुख्यमंत्री रमन सिंह की कृपादृष्टि है. आशीष खेतान की रिपोर्ट. साल 2011 की बात है. दीवाली का मौका था. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में चर्चित अखबार ‘पत्रिका’ के स्थानीय संपादक गिरिराज शर्मा के पास एक विशेष उपहार पहुंचा. राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह के कार्यालय की तरफ से...

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पर्यावरण भी हो विकास का मानक- अनिल पी जोशी

हमने विकास का सबसे बड़ा मापदंड सकल घरेलू उत्पाद की दर को माना है। किसी भी देश की प्रगति उसकी जीडीपी के आधार पर तय की जाती है। इसमें उद्योग, सुविधाएं, रियल इस्टेट बिजनेस, सेवाएं आदि मुख्य रूप से आते हैं। सही मायने में खेती को ही जीडीपी या उत्पादन की श्रेणी में आना चाहिए, क्योंकि अन्य उत्पाद हमारी सुविधाओं से जुड़े हैं, न कि आवश्यकताओं से। विकास की मौजूदा अवधारणा...

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सहजीवन का नीड़- प्रियंका दुबे( तहलका)

ध्य प्रदेश के ग्वालियर में बना विवेकानंद नीड़म बताता है कि जीवन और प्रकृति के बीच सामंजस्य कितना सुंदर हो सकता है. प्रियंका दुबे की रिपोर्ट. उम्मीद का रंग शायद हरा होता होगा. सूखती नदियों और लगातार दूषित हो रहे पर्यावरण की चिंताओं वाले दौर में विवेकानंद नीड़म को देखकर पहला ख्याल यही आता है. चंबल के सूखे बीहड़ों में बने इस हरे भरे 'आश्रम' को सहजीवन की उस धारणा...

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