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जच्चा-बच्चा सर्वे: गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं का एक बड़ा हिस्सा अभी भी मातृत्व लाभ से वंचित है

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 मातृत्व लाभ के लिए गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए केंद्र सरकार द्वारा 6,000 रुपए/ - प्रति बच्चा की गारंटी देता है. इस अधिनियन में वह शामिल नहीं हैं, जो केंद्र सरकार या राज्य सरकारों या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के साथ या अन्य कानूनों के तहत नियमित रोजगार में रहते हुए इस तरह के लाभ उठा रहे हैं. एनएफएसए-2013 भी कानूनी...

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केरल और लक्षद्वीप में शून्य तो राजस्थान में बढ़ी सिर्फ 1 रुपए मनरेगा मजदूर

-गांव कनेक्शन,  केन्द्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए न्यूनतम मजदूरी की घोषणा कर दी है। 15 मार्च को ग्रामीण विकास मंत्रालय के नोटिफिकेशन के अनुसार केरल और लक्षद्वीप में एक भी पैसे की बढ़ोतरी नहीं की गई है जबकि राजस्थान में सिर्फ एक रुपए मनरेगा मजदूरी बढ़ाई गई है। राजस्थान में अब तक मनरेगा (NREGA) में अकुशल मजदूरों की मजदूरी 220...

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कोरोना महामारी ने मनरेगा के सामाजिक ऑडिट सिस्टम को प्रभावित किया है!

जब महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम (MGNREGA) - एक मांग-संचालित कार्यक्रम पर सार्वजनिक धन का एक बड़ा हिस्सा खर्च किया जाता है, तो वित्तीय गड़बड़ी और कुप्रबंधन की संभावना होती है. शुक्र है कि ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून में इस तरह की गड़बड़ियों को रोकने के लिए चेक और बैलेंस मौजूद हैं. यह ध्यान देने योग्य है कि महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम (MGNREGA) के तहत 2020-21 के लिए...

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छत्तीसगढ़ में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में बड़े किसानों के साथ आए खेत मजदूर

-कारवां, “मनरेगा में हमें यह सरकार अब मुश्किल से बीस दिन ही काम दे रही है. जब हमने मनरेगा में काम करना शुरू किया था तो किसी साल 50-60, तो किसी साल 80 दिनों तक हमें अपने गांव में ही काम मिल जाता था. पर, हमें तो अपना गुजारा करने के लिए साल के सभी दिन काम चाहिए न. इसलिए, कुछ दिन हम अपने खेत और कुछ दिन बड़े किसानों के खेतों...

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कोविड-19 लॉकडाउन: 28 फीसदी प्रवासी मजदूरों को कमरे के किराये के लिए किया गया परेशान

-डाउन टू अर्थ, कोविड-19 को लेकर मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन से प्रवासी मजदूरों को सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ी। खासकर वे मजदूर-कामगार ज्यादा परेशान हुए, जो गृह राज्य छोड़कर राजधानी दिल्ली में नौकरी कर रहे थे। अव्वल तो उनका काम-धंधा बंद हो गया था, तो रोजी-रोटी का संकट आया और उस पर मकान मालिकों के अड़ियल रवैये ने जख्म पर नमक का काम किया।  हाउसिंग एंड लैंड राइट्स नेटवर्क (एचएलआरएन) की...

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