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कोविड त्रासदी के दौरान अनाथ हुए बच्चों के लिए अब तक सरकार ने क्या किया

द वायर 15 जुलाई केंद्र सरकार के मुताबिक़, कोविड महामारी के दौरान क़रीब 1.5 लाख बच्चे अनाथ हुए, जिनमें से 10,386 बच्चों ने दोनों मां-बाप को खो दिया, 1,42,949 बच्चों ने अपने किसी एक अभिभावक को खोया, वहीं 492 बच्चे बेघर हो गए. ऐसे बच्चों के लिए केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकारों ने भी कई योजनाओं के ज़रिये मदद की बात की थी. नई दिल्ली: ‘वो बच्चा सिर्फ़ 14 साल का था...

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कोरोना महामारी का शिक्षा के क्षेत्र में प्रभाव.

शिक्षा के क्षेत्र में भी देखा जा रहा है कोरोना महामारी का प्रभाव. हाल में आयी कई रिपोर्टों के मुताबिक बच्चों के सीखने, पढ़ने लिखने की क्षमता सहित गणितीय कौशल में कमी देखी जा रही है. जिसका प्रमुख कारण शिक्षा देने का नया माध्यम यानी ऑनलाइन माध्यम है. क्योंकि महामारी से बचाव के लिए तालाबंदी को एक ढाल के रूप में लागू किया गया. जिसके कारण शिक्षा देने के लिए ऑनलाइन माध्यम...

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सतत विकास लक्ष्य: साढ़े तीन दशक पीछे चल रहा है एशिया-प्रशांत, जलवायु परिवर्तन के मामले में 6 अंक पिछड़ा भारत

-डाउन टू अर्थ, जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और कोविड-19 महामारी ने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया पर व्यापक असर डाला है, जिसका प्रभाव सतत विकास के लक्ष्यों (एसडीजी) पर भी साफ देखा जा सकता है। इस बारे में संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी हालिया रिपोर्ट “एशिया एंड द पैसिफिक एसडीजी प्रोग्रेस रिपोर्ट 2022” से पता चला है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र अपने एसडीजी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए तय समय सीमा यानी...

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कोरोना महामारी के दौरान भारत में अन्य किसी देश की तुलना में सर्वाधिक मौतें हुईंः रिपोर्ट

-द वायर,  एक नए विश्लेषण के मुताबिक साल 2020 और 2021 में कोविड-19 महामारी के दौरान भारत में अनुमानित रूप से 40.7 लाख लोगों की मौत हुई. यह संख्या आधिकारिक तौर पर भारत में कोविड-19 से हुई मौतों से आठ गुना अधिक है. इस समय कोरोना वायरस संक्रमण से हुई आधिकारिक मौतों की संख्या पांच लाख से कुछ अधिक है. इस विश्लेषण के जरिये पहली बार दुनियाभर में कोविड-19 के दौरान अत्यधिक मौतों...

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महामारी के समय में बजट और राजनीति

-आइडियाज फॉर इंडिया, हाल ही में वर्ष 2022-23 के लिए घोषित बजट को राजनीतिक अर्थव्यवस्था के चश्मे से देखते हुए, यामिनी अय्यर तर्क देती हैं कि महामारी के दौरान घोषित किये गए दोनों बजटों में कल्याण से ज्यादा पूंजीगत व्यय पर दिया गया जोर "बाजार के अनुकूल सुधारों" की ओर राजनीतिक आख्यान में बदलाव का सिलसिला मात्र है जो 2019 में मोदी सरकार के फिर से चुने जाने के साथ शुरू...

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