-कारवां, एक तरफ, देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर किसान केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं, दूसरी तरफ महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में शोषण का ऐसा जाल बिछा हुआ है, जो हमें दिखाई तो नहीं देता है लेकिन दिन-ब-दिन अधिक फैलता और कसता जा रहा है. गन्ने की खेती के इस जाल में फंसे मजदूर और छोटे किसान अपनी बेबसी का रोना रो रहे हैं....
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सरकार ने करोड़ों ख़र्च किए, लेकिन पंजाब में पराली जलाने का व्यावहारिक विकल्प खोजने में विफल रही
-द वायर, पराली जलाने की समस्या का समाधान करने के लिए केंद्र सरकार ने पिछले चार सालों में 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की है, लेकिन इसके बावजूद दिल्ली-एनसीआर, पंजाब और हरियाणा की वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी रही है. इस राशि में से 1,050.68 करोड़ रुपये पंजाब को दिए गए थे, लेकिन यहां अभी भी भारी तादाद में खेतों में पराली जलाए जा रहे हैं. पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी)...
More »विश्व कपास दिवस: कपास से दुनिया भर में 10 करोड़ से अधिक परिवारों को होता है फायदा
-डाउन टू अर्थ, हम अधिकतर कपास से बनाए जाने वाले कपड़ों को पहनते हैं। यह आरामदायक, सांस लेने योग्य और टिकाऊ होते है। कपास सिर्फ एक वस्तु ही नहीं है उससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। यह प्राकृतिक रूप से बनाया जाने वाला कपड़ा दुनिया भर में लोगों के जीवन बदलने वाला उत्पाद है। दुनिया भर में कपास को 286.7 लाख से अधिक किसान उगाते हैं। यह 5 महाद्वीपों के 75 देशों...
More »कमला भसीन: सरहद पर बनी दीवार नहीं, उस दीवार पर पड़ी दरार…
-द वायर, कमला भसीन के जीवन की आखिरी लड़ाई कैंसर के एक बेहद घातक प्रकार से थी. उन्होंने एक असहनीय दर्द का मुकाबला विडंबना के साथ और सामने खड़ी मौत का सामना रोजमर्रा के आम दिनचर्या के साथ किया. भारतीय स्त्रीवाद को उनका सबसे बड़ा योगदान था, अपने आदर्शों के साथ समझौता न करने और उन्हें एक बिल्कुल अलग तरीके से व्यवहार करने वाली दुनिया के सामने कहने का संकल्प. उनकी प्रतिभा...
More »52 की उम्र में सीखी नयी तकनीक, चीया सीड्स उगाकर कमा रहीं तीन गुना मुनाफा
-द बेटर, कर्नाटक के एचडी कोटे तालुका की आदिवासी महिला, प्रेमा की कहानी काफी दिलचस्प है। वह हमेशा से अपनी आजीविका के लिए जंगलों पर ही निर्भर थीं। लेकिन जब साल 2007 में राज्य सरकार ने उन्हें नागरहोल जंगल से सोलेपुरा रिज़र्व फॉरेस्ट में बसाया, तब उनके लिए काफी कुछ बदल गया। साल 2007 में पुनर्वास के बाद, प्रेमा को खेती करने की सलाह दी गई। लेकिन प्रेमा के लिए यह सबकुछ...
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