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मातृभाषा से संवरेगा शिक्षा का स्वरूप - एम. वेंकैया नायडू

भाषा समाज की आत्मा और मानवीय अस्तित्व को एक सूत्र में पिरोने वाला धागा है। यह चिरकाल से ही विचारों और भावों की अभिव्यक्ति का माध्यम रही है। शब्द मानवता के विश्व-दर्शन को निर्धारित करते हैं। हम शब्दों को अर्थों या उन विचारों से अलग नहीं कर सकते, जिन्हें हम दूसरों तक पहुंचाना चाहते हैं। शायद इसीलिए भारत के सुविख्यात महाकवि कालिदास ने अपनी कालजयी काव्यकृति 'रघुवंशम का आरंभ ही...

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सरकारी स्कूलों में उपस्थिति के दौरान 'यस सर' की बजाए बोलेंगे 'जय हिन्द'

सतना। प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में अब होने वाली छात्र उपस्थिति का स्वरूप बदलेगा। अब बच्चे उपस्थिति के समय यस सर की बजाए जय हिन्द बोलते नजर आएंगे। यह व्यवस्था 1 अक्टूबर से सतना जिले में लागू होगी। इसके ठी एक माह बाद 1 नवंबर से यह व्यवस्था पूरे प्रदेश में लागू हो जाएगी। यह घोषणा अपने एक दिवसीय प्रवास के दौरान चित्रकूट से मंगलवार को वापस सतना पहुंचे प्रदेश...

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मिल्क डे पर विशेषः कहीं आप दूध के रूप में जहर तो नहीं पी रहे?

आज वर्ल्ड मिल्क डे है. दुनिया के कई देशों में यह दिवस मनाया जा रहा है. दरअसल, दूध को पूर्ण आहार माना गया है. दूध में हर वो तत्व पाया जाता है, जिसकी इनसान को जरूरत होती है. इसलिए संयुक्त राष्ट्र की संस्था फूड एंड एग्रीकल्चर आॅर्गेनाइजेशन ने भी इसके महत्व को समझा और 1 जून, 2001 को विश्व दुग्ध दिवस (वर्ल्ड मिल्क डे) के रूप में मनाने की घोषणा...

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विश्व अस्थमा दिवस कल : पुरुषों की तुलना में महिलाएं अस्थमा से ज्यादा पीड़ित

बदलती जीवन शैली युवाओं के लिए खतरा बन गयी है. शहरों में खत्म होते खेल मैदान से बढ़ा इनडोर गेम्स का चलन युवाओं को अस्थामा का मरीज बना रहा है. अस्थामा के मरीजों में अब युवाओं और बच्चों की संख्या बड़ों से दोगुनी हो गयी है. विशेषज्ञों की मानें तो खेल मैदान की कमी के चलते युवा इनडोर गेम्स को प्राथमिकता दे रहे हैं. इनडोर गेम्स के दौरान घर...

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महाराष्ट्र में देश का पहला 'किताबों वाला गांव' खुलेगा

मुंबई। महाराष्ट्र के सतारा जिले का भीलर गांव अपनी स्ट्राबेरी के लिए काफी मशहूर है। अब यह किताबों के कारण भी लोकप्रिय होने जा रहा है, क्योंकि इसे देश के पहले "किताबों वाला गांव" (पुस्तकांचं गांव) का तमगा मिलने वाला है।   यह अवधारणा ब्रिटेन के वेल्स शहर के हे-ऑन-वे से प्रभावित है। हे-ऑन-वे अपने पुस्तक भंडारों और साहित्य महोत्सवों के लिए जाना जाता है।   भीलर गांव प्राकृतिक रूप से खूबसूरत पंचगनी पहाड़ी...

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