-डाउन टू अर्थ, इससे पहले आपने पढ़ा कि दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन की वजह से विस्थापन तेजी से बढ़ा है। जलवायु संकट की वजह से समुद्र तट से लगे क्षेत्र बहुत अधिक प्रभावित हैं। इस कड़ी में पढ़ें कि भारत के तटीय इलाकों में क्या स्थिति है भारत के तटीय इलाकों और इसके नजदीक रहने वाले लोगों को साल 2,100 में आधे वक्त तक काम के समय घरों में रहने को...
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आईएमडी की नई रिपोर्ट: 2021 में भीषण मौसम की वजह से 1,750 भारतीयों की मौत
इस साल जनवरी के महीने में दिल्ली-एनसीआर में शीतलहर जैसी स्थिति के कारण 100 से अधिक बेघर लोगों की मौत हो गई (कृपया यहां और यहां देखें). हालांकि दिल्ली स्थित एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) सेंटर फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट (सीएचडी) ने यह दावा किया, और इसलिए दिल्ली के मुख्यमंत्री को सर्दियों के दौरान बेघर गरीबों के लिए उचित व्यवस्था करने के लिए कहा. हालांकि, दिल्ली शहरी आश्रय सुधार के अधिकारी बोर्ड...
More »शीत-लहरों ने 2020 में गर्म हवाओं की तुलना में 76 गुना ज्यादा जानें लीं
-डाउन टू अर्थ, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक, 2020 में शीत-लहरों की वजह से गर्म हवाओं की तुलना में 76 गुना ज्यादा जानें गईं। सांख्यिकी विभाग ने ‘भारत की पर्यावरण स्थिति के भाग-1’ में बताया कि 2020 में शीत-लहरों के कारण 152 मौतें दर्ज की गईं, जबकि गर्म हवाओं के चलते दो लोगों को जान गंवानी पड़ी। आईएमडी की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि 2020 में, आधिकारिक तौर पर दर्ज की गई गर्म हवाओं के अनुपात में शीत-लहरों से होने वाली मौतें 20 सालों में सबसे अधिक थीं। देश में 2020 में 99 दिनों तक शीत-लहर दर्ज की गईं। रिपोर्ट में दिखाया गया है कि 2017-2020 से शीत-लहरों के दिनों की तादाद में लगभग 2.7 गुना वृद्धि हुई है। शीत-लहरों ने 1980 से 2018 के बीच गर्म हवाओं की तुलना में अधिक देशवालों की जान ली है। 2017 से शीत-लहरों वाले दिनों की तादाद हर साल लगातार बढ़ रही है। 2018 में ऐसे दिनों की तादाद 63 थी, जो 2019 में डेढ़ गुना बढ़कर 103 हो गई थी। देश में 2020 में गर्म हवाओं के कारण सबसे कम मौतें दर्ज की गई थीं, जब देश में कोरोना वायरस की महामारी के चलते कई महीने तक लॉकडाउन लागू किया गया था। साल 2011 में गर्म हवाओं की तुलना में शीत-लहरों से लगभग साठ गुना ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। आईएमडी के मुताबिक, शीत-लहरों से 722 लोगों की जबकि गर्म हवाओं से 12 लोगों की जान गई थी। साल, जिसमें शीत-लहर से मौतें हुईं गर्म हवाओं से हुईं मौते शीत-लहर से हुईं मौते शीत-लहर और गर्म हवाओं से मौतों में अनुपात 2020 2 152 76.00 2011 12 722 60.17 2018 33 280 8.48 2000 55 425 7.73 2001 70 490 7.00 2004 117 462 3.95 2010 269 450 1.67 2008 111 114 1.03 विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, शीत-लहर की वजह से लोगों में कोरोनरी हार्ट डिजीज, दिमाग की नसों का फटना और सांस संबंधी बीमारियां पैदा होती हैं, जो उनकी मौत का कारण बनती हैं। आईएमडी में केवल 2021 की जनवरी का आंकड़ा उपलब्ध है, जिस महीने शीत-लहर से सबसे ज्यादा लोगों की जान गई। आईएमडी ने कहा कि जनवरी 2021 में उत्तर पश्चिम भारत में औसत मासिक न्यूनतम तापमान 2019 और 2020 की तुलना में कम रहा था। रिपोर्ट में बताया गया कि जनवरी 2021 में औसत मासिक अधिकतम तापमान सामान्य से 2-4 डिग्री सेल्सियस कम था, यह इस महीने गंगा के मैदान में और दक्षिण-पंजाब व इसके पश्चिम में उत्तरी हरियाणा में अधिक था। बिहार में भी औसत मासिक तापमान सामान्य से 3-4 डिग्री सेल्सियस कम था। अंाकड़े बताते हैं कि जनवरी 2021 में ठंडी हवाओं से लेकर शीत लहरों तक के 15 दिन दर्ज किए गए। ये लहरें देश उत्तरी भागों में फैली हुई थीं और इसमें दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ स्थान शामिल थे। उत्तर प्रदेश में 2021 में 11 दिनों तक ठंडी और भीषण शीत लहरें दर्ज की गईं। पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. ...
More »जलवायु परिवर्तन: संकट को नकारने की गुंजाइश खत्म
-डाउन टू अर्थ, अब किसी “शायद” की गुंजाइश नहीं बची है। जलवायु परिवर्तन का खतरा वास्तविक है और इसके खतरे आसन्न तो हैं ही, भविष्य भी भयावह है। इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की रिपोर्ट का यह संदेश हमारे आसपास हो रहे बदलावों की पुष्टि करता है। अत्यधिक गर्मी के कारण जंगल की आग से लेकर अत्यधिक बारिश की घटनाओं के कारण आती विनाशकारी बाढ़ और समुद्र एवं भूमि की...
More »क्यों खतरनाक बनती जा रही है यात्रियों के लिए उत्तराखंड की चार-धाम परियोजना
-इंडियास्पेंड, उत्तराखंड अभी चमोली के दर्दनाक हादसे से उभर ही रहा है कि बारिश का मौसम आते ही एक बार फिर प्रदेश के विभिन्न इलाकों से चट्टानें गिरने और भूस्खलन की ख़बरें बढ़ने लगी हैं। भूस्खलन की इन घटनाओं में अधिकतर उन इलाकों की हैं जहां पर चार-धाम परियोजना का काम शुरू किया गया था। चार-धाम परियोजना, जिसे पहले 'ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट' के नाम से जाना जाता था, की शुरुआत उत्तराखंड में चार...
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