लोकसभा चुनाव अभी सवा साल दूर हैं। इसे यों भी कह सकते हैं कि लोकसभा चुनाव में बस 16 महीने रह गए हैं। सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर दी है। 2014 के लोकसभा चुनाव और 2019 के चुनाव में एक बड़ा फर्क होगा। तब कांग्रेस सत्ता में थी और उससे सवाल पूछे जा रहे थे। आज भाजपा सत्ता में है और उससे जवाब मांगा...
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ई-कचरे की अनदेखी के खतरे-- सतीश सिंह
बेकार मोबाइल, कंप्यूटर मदरबोर्ड, खराब हो चुके फ्रिज, वातानुकूलक आदि ई-कचरा की श्रेणी में आते हैं। आज की तारीख में ई-कचरा प्रबंधन केंद्रों में प्रबंधन के नाम पर ई-कचरे से कीमती धातुओं जैसे सोने, चांदी, प्लेटिनम और पैलेडियम के अंश को निकाले जाने का काम किया जा रहा है। कंप्यूटर के दूसरे हिस्सों को भी बेच दिया जाता है। हालांकि इस प्रक्रिया में जहरीली गैस निकलने की आशंका बनी रहती...
More »खाद्य प्रसंस्करण के विकास पर हो जोर - डॉ. जयंतीलाल भंडारी
पिछले दिनों दो ऐसी रिपोर्ट्स आईं, जिन पर ज्यादा लोगों का ध्यान नहीं गया, लेकिन यदि इन रिपोर्ट्स में कही बातों पर वास्तव में गंभीरतापूर्वक काम किया जाए तो हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था के साथ-साथ रोजगार के परिदृश्य में भी व्यापक सुधार नजर आ सकता है। बीते 21 नवंबर को उद्योग मंडल एसोचैम और शिकागो की विश्व प्रसिद्ध एकाउंटिंग फर्म ग्रांट थॉर्टन द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट में कहा...
More »विकास के पैमाने और हकीकत-- राहुल लाल
हाल ही में अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेंटिंग एजेंसी ‘मूडीज' ने एक तरह से भारतीय अर्थव्यवस्था के पक्ष में अपनी राय दी। इसे कसौटी माना जाए तो अब शायद रेटिंग एजेंसियों को नोटबंदी और जीएसटी पसंद आ रहे हैं। इन दोनों कदमों और बैंकों में फंसे कर्ज का बोझ कम करने की सरकारी कवायद के कारण मूडीज ने भारत की रेटिंग बढ़ाई। उसने भारत की रेटिंग में तेरह वर्षों के बाद सुधार...
More »अर्थव्यवस्था को संजीवनी का मंत्र - डॉ. भरत झुनझुनवाला
सरकार की पुरजोर कोशिश है कि भारत वैश्विक विनिर्माण का गढ़ बन जाए। इसके लिए 'मेक इन इंडिया के तहत बहुराष्ट्रीय कंपनियों को देश में फैक्ट्रियां लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि रोजगार के अवसर सृजित हों और लोगों की आमदनी बढ़े। इस दिशा में सरकार ने दो महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। पहला कदम वित्तीय घाटे पर नियंत्रण का है। सरकार द्वारा आय से अधिक खर्च करने...
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