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जब सोच बदलेगी तो खिलेंगी बेटियां-- रमा गौतम

हमारा समाज बेशक आज मार्डन हो गया है। समाज के लोग यही कहते है कि हमने आज तक बच्चों में कोई फर्क नहीं किया और हमारे लिए तो बेटा-बेटी एक समान हैं। मगर, वास्तविकता कुछ और ही होती है। लड़कों के मामले में हम बहुत खुले विचार रखते हैं। मगर, लड़की की बात आते ही कहीं न कहीं हमारी सोच थोड़ी सिकुड़ जाती है, इसी के चलते सृष्टि को आगे...

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‘मुद्रा’ के बढ़ते एनपीए पर आरबीआइ ने किया सावधान

नयी दिल्ली : आरबीआइ ने केंद्र की महत्वाकांक्षी मुद्रा लोन योजना में बढ़ते एनपीए (डूबा कर्ज) को लेकर सरकार को चेताया है. वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने यह जानकारी दी. -11,000 करोड़ रुपये का बैड लोन (एनपीए) हो गया है प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत -2.46 लाख करोड़ रुपये का मुद्रा लोन बांटा जा चुका है वर्ष 2018 तक -4.81 करोड़ छोटे स्तर पर बिजनेस करनेवाले लोगों ने यह कर्ज लिया मुद्रा...

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5 में से 3 नवजातों को जन्म के समय नहीं मिल पाता मां का दूध

यूनिसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट से यह बात सामने आई है कि करीब 7.8 करोड़ यानी पांच में से तीन नवजातों को जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान नसीब नहीं हो पाता। इससे उनके बचने और शारीरिक व मानसिक विकास की संभावनाएं कम हो जाती हैं। विश्व स्तनपान सप्ताह (1 से 7 अगस्त) के पहले जारी रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से अधिकांश नवजातों का जन्म...

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भूख से मरी बच्चियों की याद में--- शशिशेखर

शिखा, मानसी और पारुल के नाम आजाद भारत का इतिहास यकीनन अपने पन्नों में दर्ज नहीं करेगा। उसे सिर्फ नायकों, खलनायकों और विदूषकों का लेखा-जोखा रखने की बुरी आदत है। आप सोच रहे होंगे कि रविवार की सुबह मैं किन लोगों की राम कहानी लेकर बैठ गया। बता दूं, दिल्ली के मंडावली इलाके में ये तीन बच्चियां इस बीतते हफ्ते की शुरुआत में अचानक दम तोड़ गईं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता...

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साइबर शोहदों से किनारा कीजिए-- शशि शेखर

सरकार लोगों को मुझसे प्रेम करने के लिए तैयार नहीं कर सकती, मगर भीड़ को मेरी जान लेने से जरूर रोक सकती है। तफरीहन, यूरोप की हसीन वादियों में घूम रहे मेरे एक आत्मीय को पिछले दिनों मार्टिन लूथर किंग जूनियर के ये शब्द बार-बार याद आए। वजह? उनसे बार-बार घुमा-फिराकर पूछा गया कि आप हिन्दुस्तानी क्या बलात्कारी और रक्त पिपासु हैं? जवाब में उन्होंने पुरातन संस्कृति से लेकर नई...

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