नयी दिल्ली/पटना : सरकारी स्कूलों में छात्र-कमरा अनुपात (एससीआर) तथा शिष्य-शिक्षक अनुपात (पीटीआर) में उल्लेखनीय प्रगति हुई है. यह बात आर्थिक समीक्षा में कही गयी है. वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा संसद में पेश 2017-18 की आर्थिक समीक्षा में यह भी कहा गया है कि प्राथमिक एवं माध्यमिक स्तर पर लड़कियों का दाखिला बढ़ने से स्त्री-पुरुष समानता सूचकांक (जीपीआइ) में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है. हालांकि, उच्च शिक्षा के स्तर...
More »SEARCH RESULT
ईमानदार हो पुलिस-प्रशासन-- जगमती सांगवान
देश में आये दिन जघन्य आपराधिक घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं. हरियाणा में घटी हालिया तीन घटनाएं इसकी सबूत हैं. हरियाणा के जींद में एक दलित लड़की की रेप के बाद बुरी तरह से हत्या कर दी गयी. एक दूसरी खबर है कि पानीपत में हत्या के बाद दलित लड़की की लाश के साथ रेप हुआ. वहीं फरीदाबाद में एक लड़की का पहले अपहरण किया गया, फिर चलती...
More »पढ़ाई का परिदृश्य-- कालू राम शर्मा
हम आज भी मैकाले को खलनायक के रूप में याद करते नहीं थकते हैं। अंगेजों के राज में एक खास प्रकार की शिक्षा-व्यवस्था रची गई थी, जो तब अंग्रेजी राज की जरूरतों के मुताबिक थी। आजादी पाने के पहले ही गांधीजी उस शिक्षा-व्यवस्था से न केवल व्यथित थे, बल्कि उनमें एक आक्रोश था और इसका उन्होेंने हल भी खोजा कि शिक्षा ऐसी हो जो देश की सामाजिक स्थिति और यहां...
More »दिव्यांगों को सहानुभूति नहीं, सहयोग चाहिए-- पीयूष द्विवेदी
दिव्यांगजनों की हमारे समाज में क्या स्थिति है तथा उनके प्रति समाज की क्या मानसिकता है? दरअसल, न केवल भारत में बल्कि समूची दुनिया में एक समय तक दिव्यांगता को सिर्फ चिकित्सा संबंधी समस्या समझा जाता था, लेकिन समय के साथ सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक स्टीफन हाकिंस आदि दिव्यांग व्यक्तियों द्वारा जिस तरह से जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता के नए सोपान गढ़े गए, उन्होंने समाज की मानसिकता को बदलने का...
More »संपत्ति में स्त्री के हिस्से की हकीकत-- प्रदीप श्रीवास्तव
महिलाओं को निजी संपत्ति में हिस्सा देने की बहस काफी पुरानी है। हमारे देश में स्वतंत्रता संग्राम के साथ ही यह बहस तेज हो गई थी। ब्रिटिश राज और उससे आजादी के बाद समय-समय पर कानून बनाए गए हैं, जो महिलाओं को निजी संपत्ति का अधिकार तो देते हैं, लेकिन समाज में पुरुष प्रधान सोच के कारण कानून पंगु बना रहा। वर्तमान समय में फैक्टरी, कार्यालय, खेत या घर- हर...
More »