-न्यूजक्लिक, आज जब हम अपनी आजादी की 74वीं वर्षगांठ और 75वां दिवस मना रहे हैं, संविधान सभा के अंतिम भाषण में डॉ. आंबेडकर द्वारा दी गयी चेतावनी बेहद प्रासंगिक है जिसमें उन्होंने कहा था कि देश एक अन्तरविरोधों भरे दौर में प्रवेश कर रहा है, हम एक राजनीतिक लोकतंत्र तो बन गए लेकिन सामाजिक लोकतंत्र कायम न हुआ तो यह राजनीतिक लोकतंत्र भी खतरे में पड़ जायेगा। इन 74 वर्षों में देश...
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बीजेपी के जातिवाद से लड़ने के चलते मुझे पेगासस का निशाना बनाया गया : कोवई रामकृष्णन
-कारवां, 27 जुलाई को एक अंतरराष्ट्रीय जांच के हिस्से के रूप में दि वायर ने खुलासा किया कि कोवई रामकृष्णन का फोन नंबर उन 50000 फोन नंबरों में से एक है जिसकी इजरायली कंपनी एनएसओ के सॉफ्टवेयर पेगासास के जरिए जासूसी की जा रही है.पेगासस मैलवेयर है जो हैकर को फोन तक पहुंचने और उसकी निगरानी करने देता है. लीक हुए डेटाबेस फ्रांसीसी गैर-लाभकारी मीडिया संगठन फॉरबिडन स्टोरीज को प्राप्त हुआ था....
More »सेना से लेकर बीएसएफ और रॉ के अधिकारियों के नंबर भी सर्विलांस सूची में शामिल
-द वायर, सर्विलांसिंग से जुड़े लीक हुए डेटाबेस में सेना, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के अधिकारियों के भी नंबर शामिल है. इनकी निगरानी किए जाने की संभावना है. पेगासस प्रोजेक्ट, जिसमें द वायर भी शामिल है, के तहत इसका खुलासा हुआ है. निगरानी की इस संभावित सूची में पूर्व बीएसएफ प्रमुख केके शर्मा, बीएसएफ के पुलिस महानिरीक्षक जगदीश मैथानी, रॉ के वरिष्ठ अधिकारी जितेंद्र कुमार...
More »जनहित याचिका पर जुर्माना: अब अदालत भी पूछने लगी है कि ‘तू क्या है?’
-न्यूजक्लिक, “हर एक बात पे कहते हो तुम कि 'तू क्या है' तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है” ग़ालिब ने जब यह शेर कहा होगा तो ज़ाहिरा तौर पर उनके दिमाग में कोई अदालत नहीं रही होगी। लेकिन उत्तराखंड में वाक़या ऐसा हो गया कि अदालत से भी ऐसा ही प्रश्न पूछना पड़ रहा है कि “ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है” ! 14 जुलाई 2021 को उत्तराखंड उच्च न्यायालय, नैनीताल के मुख्य न्यायाधीश की...
More »लोकतंत्र और विशेषाधिकार
-आउटलुक, “नागरिक अधिकारों, स्वतंत्रताओं को सीमित और सत्ता-प्राप्त व्यक्तियों के अधिकारों को व्यापक बनाया जा रहा” यूरोप में लोकतंत्र और लोकतांत्रिक चेतना का उदय और विकास एक लंबी संघर्ष-प्रक्रिया के दौरान हुआ लेकिन भारत में स्वाधीनता प्राप्ति के बाद लोकतंत्र की राजनीतिक प्रणाली को ऐसे समाज पर थोप दिया गया, जो अभी तक मध्यकालीन मूल्य-व्यवस्था और सामंती चेतना से मुक्त होने के लिए छटपटा रहा था। सामाजिक संरचना की प्राथमिक इकाई परिवार...
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