-द बेटर इंडिया, लोगों को आज सामान्य खेती में कोई खास भविष्य नजर नहीं आ रहा है। इसलिए, बहुत से किसान परिवार खेती छोड़कर दूसरे रोजगार तलाश रहे हैं। लेकिन वहीं कुछ ऐसे किसान भी हैं, जिन्होंने खेती से जुड़े दूसरे विकल्पों में सफलता तलाशी है। इनका मानना है कि जब देश के बाकी क्षेत्रों में लगातार बदलाव हो रहे हैं तो कृषि क्षेत्र क्यों पीछे रहे? कृषि को भी आधुनिक...
More »SEARCH RESULT
किसान आंदोलन अराजनैतिक नहीं हो सकता और होना भी नहीं चाहिए, यह लोकतांत्रिक नहीं है
-द प्रिंट, संयुक्त किसान मोर्चा ने अगामी विधानसभा चुनावों में हस्तक्षेप का फैसला किया है और इस फैसले से एक पुरानी बहस फिर से जोर पकड़ सकती हैः बहस ये कि क्या किसान-आंदोलन को राजनीति से परहेज करना चाहिए. आपको याद होगा, प्रधानमंत्री ने आंदोलनजीवी कहकर हाल में तंज कसा था. आंदोलन तो हो लेकिन अराजनीतिक हो, ये मांग भी तंज कसती इसी सोच की लीक पर है और इस बात...
More »दिशा रवि की गिरफ्तारी की कहानी और रामदेव की कोरोनिल
-न्यूजलॉन्ड्री, बीते हफ्ते पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को दिल्ली पुलिस ने बेंगलुरू से गिरफ़्तार कर लिया. वो इस समय राजद्रोह के आरोप में जेल में बंद हैं. 22 वर्षीय दिशा पर आरोप है कि उन्होंने किसानों के आंदोलन को जन-समर्थन दिलाने के लिए स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग द्वारा शेयर की गयी टूलकिट के निर्माण में भूमिका निभायी थी. ऐसा उन्होंने भारत के खिलाफ साजिशन किया. तो इस बार हम टूलकिट...
More »यदि किसानों के प्रदर्शन को वैश्विक स्तर पर उठाना राजद्रोह है, तो मैं जेल में ही ठीक हूं : दिशा रवि
-न्यूजक्लिक, जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि के वकील ने शनिवार को दिल्ली की एक अदालत से कहा कि यह प्रदर्शित करने के लिए कोई साक्ष्य नहीं है कि किसानों के प्रदर्शन से जुड़ा ‘टूलकिट’ 26 जनवरी को हुई हिंसा के लिए जिम्मेदार है। अदालत ने उसकी जमानत याचिका पर अपना आदेश मंगलवार के लिए सुरक्षित रख लिया। दिशा ने अपने वकील के जरिए अदालत से कहा, ‘‘यदि किसानों के प्रदर्शन को वैश्विक स्तर...
More »पॉलिटिकली Incorrect: सिंघु बॉर्डर का लगातार उठता मंच और चढ़ता इक़बाल
-जनपथ, सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चे का जहां भव्य मंच है, 12 फुट की दो-दो एलईडी स्क्रीन लगी है और मंच से कुछ दूरी पर इसी तरह की अन्य स्क्रीन भी हैं। शाम पांच बजे तक यहां वक्ताओं की तस्वीरें दिखाई जाती हैं और अँधेरा होते ही वहां का नज़ारा ओपन थियेटर जैसा हो जाता है। यहां किसानों और सिख परम्परा से जुड़ी फ़िल्में दिखाई जाती हैं। आंदोलन के चढ़ाव...
More »