SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 752

पत्रकारिता का सुंदरकांड- नासिरुद्दीन

पत्रकारिता के बारे में समालोचना करते वक्त डर क्यों लगता है? क्या इसलिए कि लोकतंत्र के खंभों को पाक दामन माना जाता है? या इसलिए कि ये खंभे काफी ताकत रखते और समय-समय पर ताकत दिखाते भी हैं? अब यह तय करना मुश्किल होता जा रहा है कि चौथा खंभा, लोकतंत्र का भार उठाये है या वही लोकतंत्र पर भारी पड़ रहा है. चौथा खंभा यानी पत्रकारिता यानी अखबार, न्यूज...

More »

सपने दुलारने की बाकी कसक-- अलका कौशिक

औरतों के नाम एक दिन की रिवायत हर साल मज़बूत होती जा रही है। कभी स्कूल-कॉलेज के दिनों में यह दिन सिर्फ एक तारीख भर था जिसे रट लेना होता था आधे-एक नंबर की गारंटी की खातिर! फिर बात आगे बढ़ी, कुछ खेल-तमाशे जुड़ने लगे। लिपस्टिक-बिंदी पर छूट, पार्लरों में आफर, ड्रैस पर पेशकश और साड़ी के साथ कुछ इनाम... खर्रामा-खर्रामा महिला दिवस मनाने का चलन बढ़ता रहा। और इसी...

More »

आधी आबादी के हैं एक या दो बच्‍चे

नई दिल्ली। देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि आधे से ज्यादा परिवारों के दो से ज्यादा बच्चे नहीं हैं। सोमवार को जारी की गई 2011 की जनगणना के आंकड़ों से यह बात सामने आई है। 54 फीसद विवाहित महिलाओं के दो या इससे कम बच्चे हैं। साल 2001 की जनगणना के आंकड़ों से तुलना करें, तो उस वक्‍त 46.6 फीसदी माताओं के दो या इससे कम बच्चे...

More »

टैक्स इतना ले लिया, दोगे कितना!-- अनिल रघुराज

आजाद भारत का पहला बजट नवंबर 1947 में पेश किया था. तब से लेकर अब तक के 68 सालों में अगर देश के कोने-कोने तक सड़क, बिजली, पानी व सिंचाई का भौतिक इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षा व स्वास्थ्य जैसा सामाजिक इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं पहुंचा है, तो इसके लिए हम और हमारे बाप-दादा ही दोषी हैं. हम सिर नीचा किये गाय की तरह घास चरते रहे. कभी सिर उठा कर पूछा नहीं कि...

More »

खुली बहस के परे कोई भी विषय नहीं - मृणाल पांडे

ऋग्वेद (8, 2, 24) में मनुष्य देवताओं से पूछते हैं कि सत्य का साक्षात करने वाले ऋषि तो रहे नहीं, आने वाले समय में उनकी जगह कौन लेगा? देवताओं का जवाब है, आने वाले काल में समान स्तर के अनेक ज्ञानी जब बैठकर अपने-अपने ऊह (तर्क) और अपोह (प्रतितर्क) से हर विषय पर बहस को आगे बढ़ाएंगे तो उनके समवेत तर्क-वितर्क ही अंतिम सच का निर्णय करेंगे। एक अग्रगामी लोकतंत्र...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close