चंडीगढ़ [भारत डोगरा]। आज से चार-पांच दशक पहले हरित क्रांति के नाम पर भारतीय कृषि में बड़े बदलाव हुए तो इनका सबसे बड़ा केंद्र पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश की उपजाऊ पट्टी को बताया गया, जहां पानी की भी कोई कमी नहीं थी। इस क्षेत्र को भारत के खाद्यान्न कटोरे के रूप में विकसित करने पर बहुत निवेश हुआ और सिंचाई, रासायनिक खाद आदि व इनसे जुड़ी सब्सिडी का अधिकांश खर्च...
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किसानों को मिल सकता है सस्ता डीजल
नई दिल्ली. पेट्रोल पदार्थो की कीमत वृद्धि से नाराज हुई जनता के आक्रोश को कम करने के संभावित उपाय पर सरकार ने विचार शुरू कर दिया है। पहले चरण में सरकार के इस नरम रुख का लाभ किसानों को मिल सकता है। सरकार गांव के किसानों के लिए डीजल की दर कम करने पर विचार कर रही है। हालांकि इसमें सबसे बड़ी बाधा किसान की पहचान बन रही है। सरकार के...
More »हटेगी कपास निर्यात से रोक
नई दिल्ली। इस साल अक्टूबर से कपास निर्यात पर लगा प्रतिबंध हट जाएगा। कपड़ा मंत्रालय के रुख के विपरीत वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर ने शुक्रवार को कहा कि एक अक्टूबर से कपास का बिना किसी किसी रोक टोक के निर्यात किया जा सकेगा। वाणिज्य मंत्रालय कोशिश में है कि निर्यात पर किसी तरह का प्रतिबंध न रह जाए। यही नहीं मंत्रालय कपास निर्यात पर किसी तरह के शुल्क लगाए जाने के भी पक्ष...
More »दाल से टूटता रोटी का नाता
नई दिल्ली [रमेश दुबे]। दलहनों की पैदावार बढ़ाने के लिए लगभग दो दर्जन योजनाओं की असफलता के बाद केंद्र सरकार ने सीधे किसानों को ज्यादा कीमत देने की रणनीति अपनाई है। इसके तहत दलहनी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भारी बढ़ोत्तरी की गई है। जहा अरहर के समर्थन मूल्य में सात सौ रुपये की वृद्धि की गई है, वहीं मूंग में 410 रुपये तथा उड़द में 380 रुपये की...
More »फूलों की खेती से होंगे मालामाल
पानीपत. किसानों को फूलों की खेती से मालामाल करने के लिए बागवानी विभाग ने कवायद शुरू की है। राष्ट्रीय बागवानी मिशन 2010—11 के तहत जिले में 12.5 एकड़ में गेंदे की फूलों की खेती की जाएगा। मतलौडा, इसराना, बापौली, पानीपत व समालखा ब्लाक में एक—एक हेक्टेयर पर गेंदे के फूलों की खेती का टारगेट दिया गया है। किसान का एक हेक्टेयर गेंदे के फूलों की खेती पर करीब 70 हजार...
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