खास बातें- दुनिया में सबसे ज्यादा बड़े बांध बनाने वाले देशों में भारत तीसरे नंबर पर है। यहां अभी 3600 से ज्यादा बड़े बांधे हैं, जबकि 700 से ज्यादा अभी बनने की प्रक्रिया में हैं। भारत में बांधों की वजह से हुए विस्थापन के बारे में अलग अलग-अलग अनुमान हैं। दास और राव (1989) ने दावा किया कि भारत में बांध परियोजनाओं की वजह से दो करोड़ दस लाख लोग विस्थापित हुए। बड़े...
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मनरेगा में न्यूनतम मजदूरी का गड़बड़झाला
क्या मनरेगा को जस का तस छोड़ा जा सकता है? मनरेगा के मामले में नागरिक-संगठन आखिर इतना हल्ला किस बात पर मचा रहे हैं? क्या ग्रामीण इलाके के सामाजिक कार्यकर्ता बहुत ज्यादा की मांग कर रहे हैं? क्या यूपीए- II वह सारा कुछ वापस लेने पर तुली है जो यूपीए- I ने चुनावों से पहले दिया था? चुनौती सामने है, मनरेगा गहरे संकट में है। अरुणा राय और ज्यां द्रेज सरीखे...
More »ग्रामीणों की चौखट पर सरकार
जयपुर. राज्य की सत्ता संभालने के करीब दो साल बाद सरकार ने अब गांवों की ओर रुख किया है। बुधवार से सरकार ने ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर प्रशासन गांव के संग अभियान शुरू किया है। जयपुर में जिले में पहला शिविर शाहपुरा तहसील के बिलान्दरपुर गांव में लगाया गया है। प्रदेश की 9000 से ज्यादा ग्राम पंचायतों में लगने वाले इन शिविरों में 18 विभाग लोगों की रोजमर्रा की समस्याओं का मौके...
More »अनाज भंडारण की गहराती समस्या
भारतीय खाद्य निगम अब अनाज को सड़ने से बचाने के लिए विदेशी कम्पनी मोर्गन स्टेनली की मदद लेने जा रहा है। मोटे तौर पर यह कम्पनी भारतीय खाद्य निगम को यह सिखाएगी कि अनाजों की खरीद, ढ़ुलाई और बफर स्टॉक की मात्रा तय करने से लेकर उसके रख-रखाव और वितरण की व्यवस्था को कैसे चुस्त-दुरुस्त रखा जा सकता है। पिछले कुछ सालों से अनाज के उचित भंडारण के अभाव में खुले...
More »किसान-सरकार साझेदारी का मॉडल
भू-अर्जन कानून 1894 में मामूली सा संशोधन कर ग्रामसभा की भूमि का उपयोग बदले जाने के बावजूद भारत के गांवों के किसानों एवं भूमिहीनों के वंशजों का भविष्य सुनिश्चित किया जा सकता है। इस संशोधन का नाम सक्रिय समूहों ने किसान-सरकार साझेदारी तय किया है। अगस्त में उत्तर प्रदेश के जिरकपुर हुए किसान आंदोलन के बाद विभिन्न राजनीतिक पार्टियों ने एक स्वर में भू-अर्जन कानून 1894 में संशोधन की मांग की थी। मामला...
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