अन्ना हजारे, सिविल सोसाइटी, सरकार और सर्वोपरि संसद समाजशास्त्री व अर्थशास्त्री जो लोग इन बड़े समाचारों के बीच उनके भीतरी आशय जानना चाहते हैं, उनके के लिए ये सब बहस के मुद्दे हो सकते हैं, किंतु आम लोग, लोकपाल या जन लोकपाल में कुछ फर्क भी है, यह जानने की जरूरत नहीं समझते. उन्हें बस इतना पता चल गया है कि एक पर एक मंत्री एक से आला भ्रष्टाचार के नये कीर्तिमान...
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हजारे का ग्लूकोज चढ़वाने से इंकार
नई दिल्ली। जन लोकपाल की माग को लेकर पिछले नौ दिन से अनशन पर बैठे गाधीवादी अन्ना हजारे चिकित्सकों की सलाह के बावजूद ग्लूकोज चढ़वाने के लिए तैयार नहीं हैं। हजारे के करीबी सहयोगी मनीष सिसोदिया ने बुधवार को संवाददाताओं को बताया कि अन्ना ने ग्लूकोज चढ़वाने से इंकार कर दिया है। उन्हें चिकित्सकों ने सुबह की जाच के बाद ग्लूकोज चढ़वाने की सलाह दी थी। अन्ना का वजन बीते...
More »2000 करोड़ का है कोयले का अवैध कारोबार
रांची, प्रणव : झारखंड मतलब कोयले की खान। यह खान झारखंड की जान है तो कोयला माफियाओं के लिए पैसा बरसाने वाली मशीन। माफिया जितना अवैध कारोबार करते हैं उतना ही नुकसान सरकार को होता है। हर माह करोड़ों के राजस्व की क्षति होती है। कोल लिंकेज मामले की जांच कर रही सीबीआइ की तहकीकात में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। इसमें बताया गया है कि झारखंड-बिहार में...
More »बीज विधेयक किसानों की हित-रक्षा में नाकाम
बीज विधेयक 2010 संसद के मौजूदा सत्र में बहस के बाद पारित किए जाने के लिए तैयार है। इस विधेयक का शुरुआती मसौदा किसानों के बजाय कृषि-व्यवसायियों के फायदे में होने के कारण विवादास्पद साबित हुआ था। पहले संसदीय स्थायी समिति और फिर सर्वदलीय बैठक में विचार-विमर्श के बावजूद कई किसान संगठनों, विपक्षी राजनीतिक दल तथा नागरिक संगठनों का मानना है कि यह विधेयक छोटे और सीमांत किसानों के हितों की रक्षा में सफल नहीं...
More »बीड़ी पत्ते में धुआं-धुआं ज़िंदगी -- सारदा लहांगीर
“छो...छोको भूंजी लोक पतर तुड़ले लागसी भोक....” ( हम लोग गरीब भुंजिया आदिवासी, पत्ता तोड़ते हुए भूख लगती है ) नुआपाडा जिले के सीनापाली गांव में रहने वाली 55 वर्षीय पहनी मांझी को जंगल में तेदूपत्ता तोड़ते हुए जब भूख लगती है तो वो अपना ध्यान बंटाने के लिए यहीं उड़ीया लोकगीत गुनगुनाती हैं. तेंदूपत्ता अप्रैल और मई महीने की चिलचिलाती धूप में जब हम अपने वातानुकुलित कमरे में बैठे आराम फरमा...
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