अब देश की सरकार गरीबी के मानदंडों में संशोधन करने जा रही है, जैसे कि देश को पता ही न हो कि गरीबी के मायने आखिर क्या हैं! सरकार का मानना है कि शहरी क्षेत्र में एक दिन में 32 रुपए और ग्रामीण क्षेत्र में एक दिन में 26 रुपए से अधिक खर्च करने वाला व्यक्ति ‘गरीब’ नहीं माना जा सकता और इसलिए वह सरकार की विभिन्न हितकारी योजनाओं के लिए पात्र...
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छोटी-सी गुड़िया की लंबी कहानी : हर्ष मंदर
हॉलैंड का एक गांव। गिरजे की खिड़कियों से छनकर आ रही दोपहर की नर्म धूप में हम प्रेम के एक चमत्कार के साक्षी हुए। इस कहानी की शुरुआत 24 साल पहले कराची के एक यतीमखाने से होती है। एक परित्यक्त बच्ची सड़क पर जिंदगी और मौत के बीच झूल रही थी, जिसे यतीमखाने के कर्मचारी अपने यहां ले आए थे। यतीमखाने को एक समृद्ध और दयालु डच महिला संचालित करती थी। उन्होंने...
More »40 पंचायतों में खाता संचालन पर रोक
भागलपुर : साक्षर भारत योजना के तहत निरक्षरों को साक्षर बनाने के लिए लोक शिक्षा केंद्र के प्रबंधन के लिये अब तक 182 पंचायत में दो-दो प्रेरकों का चयन किया गया है. इसमें 40 पंचायतों से चयन में धांधली की शिकायत जिला कार्यक्रम पदाधिकारी देवेंद्र कुमार झा के पास पहुंची है. आपत्ति वाले पंचायतों में खाता के संचालन पर रोक लगा दी गयी है. डीपीओ ने बताया कि अगर रोस्टर व योग्यता...
More »मुद्दा: गरीब की नई परिभाषा
गरीबी: सभ्य समाज के इस सबसे बड़े अभिशाप को राष्ट्रपिता गांधी जी ने हिंसा का सबसे खराब रूप कहा। करेला उस पर नीम चढ़ा कि स्थिति यह कि गरीबों को 'गरीब' न मानना। हमारे हुक्मरानों ने गरीबों की नई परिभाषा गढ़ी है। अगर आप शहर में रहकर 32 रुपये और गांव में रहकर 26 रुपये प्रतिदिन से अधिक खर्च कर रहे हैं तो आप गरीब नहीं है। खुद को गरीब मानते...
More »ब्राजील की लेनी रांची में दे रही रोजगार
रांची ब्राजील में जन्मी और पली बढ़ी वाउजी लेनी पॉल ने रांची को अपना कर्म क्षेत्र बनाया है। यहां की महिलाओं और ड्रॉपआउट लड़कियों को डिजाइनिंग और टेलरिंग का गुर सिखा कर उन्हें आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने में जुड़ी हैं। डेढ़ साल की अपनी समर्पित सेवा से तीन महिलाओं और पांच युवतियों को इस हुनर में पारंगत कर चुकी हैं। कैसे आया प्रशिक्षण का ख्याल: सुदूर क्षेत्रों...
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