देवघर : अभिलेखागार से चोरी हुए 386 एकड़ के जमीन घोटाले के कागजात को बड़ी बारीकी से जलाया गया. कागजात को अनुसेवक ज्योतिंद्र पोद्दार की घर की छत पर चूल्हे में जलाया गया. उसके राख को घर के पीछे खेतों में फेंका गया. राख को नष्ट करने के लिए उस पर पानी डाल दिया गया. फोरेंसिक एक्सपर्ट शंभू सिंह व धर्मेद्र कुमार ने दोनों स्थानों के राख, अधजले कागजात, फाइल आदि के...
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गोदान : किसान की शोकगाथा--- . गोपाल प्रधान
‘गोदान’ के प्रकाशन के 75 साल पूरे हो गए हैं लेकिन भारत का देहाती जीवन आज भी लगभग उन्हीं समस्याओं और चुनौतियों से घिरा दिखता है जिनका वर्णन मुंशी प्रेमचंद के इस कालजयी उपन्यास में हुआ है. गोपाल प्रधान का आलेख सन 1935 में लिखे होने के बावजूद प्रेमचंद के उपन्यास 'गोदान' को पढ़ते हुए आज भी लगता है जैसे इसी समय के ग्रामीण जीवन की कथा सुन रहे हों....
More »उनकी साख डूबी और इनकी संभावनाएं
नई दिल्ली [अंशुमान तिवारी]। दुनिया की आर्थिक तस्वीर बिगड़ते ही रोजगारों का पूरा परिदृश्य तब्दील होने लगा है। वर्ष 2011 की शुरुआत में रोजगारों का बाजार मंदी से उबरने की उम्मीदें और सूचना तकनीक, रिटेल के अलावा इंजीनियरिंग व शोध विकास जैसे क्षेत्रों में नए अवसरों की संभावना से सराबोर था। वहीं, आज सन्नाटा और आशका मुश्किलें आ जमी हैं। नौकरियों के लिए मुश्किलें तितरफा हैं। घाटे से परेशान सरकारें...
More »जब देश डूबें तो कौन बचाए!
नई दिल्ली, अंशुमान तिवारी; वित्तीय दुनिया चाहे जितनी पेंचदार हो, मगर यह हमेशा से एक अलिखित और व्यावहारिक भरोसे पर ही चलती है। रुपये अदा करने का वचन देने वाली कागजी मुद्रा (प्रॉमिसरी नोट) से लेकर अरबों डॉलर के बाडों और शेयरों तक फैला यही भरोसा अब दरकने लगा है। बात लीमन ब्रदर्स या बेरिंग्स नाम के बैंक अथवा एनरॉन या सत्यम जैसी कंपनी से भरोसा उठने की है ही...
More »शहरों ने लील लिए 490 गांव
भोपाल। शहरीकरण के मामले में मप्र भी देश के अन्य राज्यों के नक्शेकदम पर है। जनगणना के ताजा अंतरिम आंकड़ों के अनुसार पिछले दस सालों में मप्र के करीब सवा फीसदी लोग गांवों से निकलकर शहरों में बस गए हैं। प्रदेश में शहरों की संख्या में 82 का इजाफा हुआ है, जबकि 490 गांव कम हो गए। हालांकि राज्य के अब भी सवा पांच करोड़ (72.37 फीसदी) लोग गांवों में ही...
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