बीती सदी के नब्बे के दशक में जब जर्जर भारतीय अर्थव्यवस्था को तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंहराव के वित्त मंत्री ने अमरबूटी पिलाई थी, तो किसी को एहसास भी नहीं था कि यह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शुमार हो जाएगी। विदेशों में बने टीवी, फ्रिज को देखकर ललचाते हुए मध्यवर्ग ने सोचा भी नहीं था कि भारत ऐसे सामान के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक बन जाएगा। यह...
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देश की 20 प्रतिशत आय केवल 928 घरों में सीमित
एक तरफ तो सरकारें कहती हैं कि वो गरीबी और अमीरी की खाई को पाट देंगी लेकिन हाल ही में आई एक रिपोर्ट इस बात को सिरे से खारिज करती हैं कि भारत में कुछ ऐसा हो भी सकता है। बॉस्टन कंसल्टेंसी ग्रुप की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कुल कमाई का 20 प्रतिशत केवल 928 परिवारों तक ही सीमित हैं। बॉस्टन कस्लटिंग ग्रुप की रिपोर्ट में 'ग्लोबल वेल्थ 2015:विनिंग...
More »सवाल अधिकार और सम्मान का- मनीषा सिंह
यह बात कई सर्वेक्षणों से निकलकर आ चुकी है कि हुक्म नहीं मानने वाली या आदेश को सही ढंग से नहीं समझकर उसका तुरंत पालन नहीं करने वाली पत्नी की पिटाई को समाज जायज मानता है। इन सर्वेक्षणों से कई बार आश्चर्यजनक रूप से यह साबित करने की कोशिश की गई है कि पति के हाथों पिटाई को पत्नी बुरा नहीं मानती। ऐसे में, दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री सोमनाथ...
More »एक इम्तिहान है मैगी का मामला - जगमोहन सिंह राजपूत
दो मिनट में बनकर तैयार हो जाने वाली मैगी ने सारे भारत को हिला दिया है। इसे यूं भी कहा जा सकता है कि इस बार तो स्वाद पूरी तरह बेमजा हो गया। नेस्ले के नूडल्स घर-घर ही नहीं, अब तो गांवों तक अपनी पहुंच बना चुके थे। वे लोग जो चाहते हैं कि सारी दुनिया में एक भाषा, एक पहनावा, एक खाना ही चले, मैगी जैसे प्रचलन को अपनी...
More »कुछ राज्य अंडा देने से क्यों मुकर रहे हैं? -- ज्यां द्रेज़
पिछले कुछ सालों से भारत के कई राज्यों ने स्कूलों या आंगनबाड़ी केंद्रों या फिर दोनों जगहों पर मिड डे मील में अंडा परोसना शुरू किया है. यह क़दम सामाजिक नीति के क्षेत्र में हुए बेहतरीन चीज़ों में एक है. भारतीय बच्चे दुनिया के सर्वाधिक कुपोषित बच्चों में शुमार हैं. उन्हें प्रोटीन, विटामिन, आयरन तथा अन्य ज़रूरी पोषक-तत्वों से भरपूर भोजन नहीं मिल पाता. रोज़ाना अंडा खाने से उन्हें पलने-बढ़ने और सोचने-समझने...
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