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लखनसेन में हुआ जनवितरण का लैबटेस्ट

बड़हरवा लखनसेन (पूर्वी चम्पारण)। कहां है अपना फोटोग्राफर, त्रिपुरारी जी। जरा इस गेहूं की तस्वीर तो उतरवाइए। इस बोल के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चेहरे पर तल्खी छा गयी। बोले, भारतीय खाद्य निगम ऐसा ही छोटे साइज का सूखा हुआ दाना हमारे यहां भेजता है और अधिग्रहण के समय हम लोगों के किसानों के बढि़या गेहूं पर पिंगिल(नखरे दिखाना) पढ़ता है? फोटोग्राफर की खोज होती ही रही कि मुख्य सचिव अनूप मुखर्जी ने स्वयं कैमरे...

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हमारा बीपीएल और उनका आईपीएल- देविंदर शर्मा

2009 में जब विश्व आर्थिक मंदी की आग में जल रहा था और इसकी तपिश भारत में भी महसूस की जा रही थी, तब भारत ने तीन किस्तों में करीब साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये का राहत पैकेज जारी किया था. हम सरकारी अनुदान हड़पने में किसानों और गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों को दोषी ठहराते हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि उद्योग और व्यवसाय जगत इनसे कई...

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आर्सेलर मित्तल की राह नहीं चलेगी टाटा स्टील

कोलकाता : देश में निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी इस्पात उत्पादक कंपनी टाटा स्टील दुनिया की सबसे बड़ी स्टील कंपनी आर्सेलर मित्तल की राह नहीं चलते हुए अपना गढ़ कहे जाने वाले राज्य झारखंड में अपने नये संयंत्र के प्रस्तावित परियोजना स्थल में बदलाव नहीं करेगी. कंपनी के प्रबंध निदेशक एचएम नेरूरकर ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि झारखंड के सरायकेला-खरसांवा जिले के टेंटोपोसी में प्रस्तावित हमारी परियोजना...

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आदिवासी अधिकारों का व्यापक उल्लंघन हो रहा है- जनसुनवाई का फैसला

“कहा जाता है कि हम लोग दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं क्योंकि देश में बड़े पैमाने पर चुनाव होता है। लेकिन लोकतंत्र का मतलब चुनाव नहीं होता, लोकतंत्र का मतलब होता है देश के फैसलों में जनता की भागीदारी और इस कसौटी पर देखें तो अपने देश में लोकतंत्र नहीं है-‘’सीधे ,सपाट और किसी आंदोलनकारी के मुंह से निकलने का आभास देते शब्द। लेकिन ये शब्द जस्टिस सुप्रीम कोर्ट के  जज पी वी (रिटायर्ड)...

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आदिवासी अधिकारों का व्यापक उल्लंघन हो रहा है- जनसुनवाई का फैसला

“कहा जाता है कि हम लोग दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं क्योंकि देश में बड़े पैमाने पर चुनाव होता है। लेकिन लोकतंत्र का मतलब चुनाव नहीं होता, लोकतंत्र का मतलब होता है देश के फैसलों में जनता की भागीदारी और इस कसौटी पर देखें तो अपने देश में लोकतंत्र नहीं है-‘’सीधे ,सपाट और किसी आंदोलनकारी के मुंह से निकलने का आभास देते शब्द। लेकिन ये शब्द जस्टिस सुप्रीम कोर्ट...

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