किसी एक कंपनी के हाथ में 95 फीसदी बीज बाजार का जाना ठीक नहीं तीन साल पहले वन व पर्यावरण मंत्री के तौर पर बीटी बैंगन पर रोक लगाने वाले जयराम रमेश ने जीएम फसलों पर फिर से सवाल उठाया है। उन्होंने वैज्ञानिकों से सवाल किया है कि क्या वे 95 फीसदी बीज मार्केट पर किसी एक कंपनी का नियंत्रण होने देना चाहेंगे। यहां पौष्टिकता और कृषि क्षेत्र के वैज्ञानिकों से मुखातिब...
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मॉनसून के भरोसे खेती कब तक ?
बिहार में खरीफ की खेती अब भी वर्षा पर निर्भर है. सरकार हर साल कई करोड़ रुपये जल संसाधन पर खर्च करती है, लेकिन अब भी 93.6 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में से केवल 56.03 लाख हेक्टेयर जमीन में ही शुद्ध रूप से खेती होती है और केवल 33.57 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि ही सिंचित है. मॉनसून अगर साथ दे, तो किसानों का सौभाग्य और अगर वह दगा दे, तो...
More »पंचायत के रास्ते जन तक पहुंचा तंत्र
प्रदीप श्रीवास्तव, नई दिल्ली। तमाम दिक्कतों, सरकारी अवरोधों को गिनाने के साथ मणिशंकर अय्यर मानते हैं कि पंचायत राज व्यवस्था ने जमीनी स्तर पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया से प्रशिक्षित लाखों लोगों की एक फौज खड़ी की है। खासकर इससे महिलाओं को आगे लाने में काफी कामयाबी मिली है। पंचायती राज के जरिए जनता देश में 38 लाख प्रतिनिधि चुनती है। इसमें 14 लाख महिलाएं होती हैं। अय्यर के मुताबिक, पिछले 20...
More »अर्थव्यवस्था पर 'भारी' मोटापा
रोम। मोटापा और कुपोषण दुनिया की अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ रहे हैं। इसके लिए जंक फूड सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने यह चेतावनी जारी की है। एफएओ ने कहा है कि मोटापे से होने वाली जटिल बीमारियों पर हर साल लगभग 1.4 लाख करोड़ डॉलर खर्च हो रहे हैं। सरकारें स्वास्थ्य पर निवेश करके बड़े आर्थिक और सामाजिक नतीजे हासिल कर सकती हैं।...
More »सरकार नहीं कर सकी वह ग्रामीणों ने कर दिखाया
गेंदो वर्मा, हजारीबाग। झारखंड के हजारीबाग जिला स्थित कुम्हरा बेंगवरी गांव के लोगों ने अपने सामूहिक प्रयास से वह कर दिखाया जो आज तक कोई भी सरकार उनके लिए नहीं कर पाई। ग्रामीणों ने गांव की जरूरत के लिए माइक्रो थर्मल पावर प्लांट स्थापित कर 1800 आबादी वाले गांव के 200 घरों को बृहस्पतिवार को रोशन कर दिया। यह प्रयास उन तमाम गांवों के लिए प्रेरणादायी है, जो बिजली नहीं...
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