पटना: किसी के पास भवन नहीं, तो किसी के पास क्लास रूम की कमी, कोई स्कूल के नाम पर खानापूर्ति कर रहा है, तो कहीं लाइब्रेरी के नाम पर चार किताबें हैं. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा जब स्कूलों की जांच शुरू की गयी, तो ऐसे कई स्कूल मिले, जो बस खानापूर्ति कर रहे हैं. इन दिनों समिति द्वारा राज्य भर के 519 स्कूलों की जांच की जा रही है. विकास के लिए...
More »SEARCH RESULT
लेबर की कमी होने से मजदूरी दो वर्षों में दोगुनी- शमशेर सिंह
रियल स्टेट डेवलपरों को नकदी के अभाव से भी बड़ी समस्या फिलहाल मजदूरों की कमी लग रही है। मनरेगा की शुरुआत से यह संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। मजदूरों की कमी के साथ ही इनकी मजदूरी में भी काफी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। आज हालात यह है कि मजदूरों की कमी प्रोजेक्ट में देरी की एक वजह बनती जा रही है। मजदूरों की किल्लत के चलते उनकी मजदूरी...
More »एसएचजी की महिलाओं को चार प्रतिशत पर कर्ज
पटना: एसएचजी यानी स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए उन्हें चार प्रतिशत की ब्याज दर पर कर्ज मिलेगा. वर्तमान में सात प्रतिशत पर कर्ज मिलता है. अतिरिक्त तीन प्रतिशत राशि राज्य सरकार अपने खजाने से बैंकों को सूद के रूप में देगी. लोक सेवा का अधिकार कानून, 2011 में संशोधन करते हुए कुछेक सेवाओं में तत्काल सेवा तो कुछ की समय सीमा...
More »भारत का 'चुप्पा' विकास जो किसी को नहीं दिखा
उस वक्त को गुजरे ज़्यादा दिन नहीं हुए जब भारत के सबसे ग़रीब ज़िलों में बुनियादी सुविधाएं बहुत कम और विरल थीं. ज़्यादातर लोग अपने हालात के भरोसे थे. इनमें से कुछ लोगों को भरे-पूरे प्राकृतिक वातावरण का संग-साथ हासिल था और शायद उनकी जिन्दगी में वह आज़ादी और उत्साह भी था जो आज खो गया है. लेकिन अन्य बहुत से लोग भूख, असुरक्षा और शोषण के साये में रहते थे...
More »जब बालू की रॉयल्टी से सुधरी पंचायतों की सूरत
बालू खनन के जरिये पंचायतों को रायल्टी देने का प्रावधान पहले भी था. खनिज विभाग की नियमावली के तहत बालू घाटों का प्रबंधन पंचायतों के जरिये करवाने की व्यवस्था थी. मगर व्यावहारिक तौर पर इस प्रावधान का इस्तेमाल कम ही हो पाता था. उसी दौर में धनबाद के दस पंचायतों में ऐसा ही एक प्रयोग हुआ जिसमें पंचायतों के जरिये बालू घाटों का प्रबंधन किया गया और इस काम की वजह...
More »