SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 840

मप्र के शहडोल संभाग में पहली बार होगी अनार की खेती

शहडोल(मध्‍यप्रदेश)। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का जॉब कार्ड लेकर मेहनत मजदूरी करने वाली महिलाएं पर्यावरण के लिए अब अनार की खेती करेंगी। यह खेती इसी साल से शहडोल सहित प्रदेश के सागर, ग्वालियर और चंबल संभाग में शुरू हो रही है। इसके लिए उद्यानिकी विभाग और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अधिकारी-कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके बाद ये अधिकारी-कर्मचारी मैदान में उतरेंगे और जॉब कार्डधारी...

More »

मजदूर महिला ने आगे आकर संभाला स्कूल की सफाई का जिम्‍मा

पन्ना(मध्‍यप्रदेश)। आज के समय में हर तरह स्कूल की सफाई बच्चों पर निर्भर है। प्राथमिक एवं मिडिल में कोई सफाईकर्मी नही है। यह कार्य गलत है या सही इस पर चर्चा की जाती है, लेकिन समाज से या स्थानीय स्तर से किसी प्रकार हल नही निकाला जाता है। ग्रामीण और सरकार के लोग बहस में फंसकर रह जाते है। पन्ना से लगभग 25 किमी दूर पार्क से लगा कोटा गुंजापुर जहां...

More »

आर्थिक प्रगति का दूसरा चेहरा- तस्लीमा नसरीन

वर्ष 1993 में बांग्लादेश में मेरे पास गारमेंट्स फैक्टरियों की कुछ लड़कियां आती थीं। वे अपने कामकाज से जुड़ी तमाम शिकायतें करती थीं-जैसे लड़कियों को रुपये-पैसे के मामले में ठगना, उन्हें कम वेतन देना, ऊंचे पदों पर महिलाओं की नियुक्ति न करना, मातृत्व अवकाश न देना, बीमारी में छुट्टी न देना, यौन दुर्व्यवहार करना, ओवरटाइम करने के लिए बाध्य करना, देर रात को फैक्टरी से घर जाने के लिए वाहन...

More »

बिहार का एक बैंक जहां कर्ज में मिलता है अनाज- सीटू तिवारी

बिहार की राजधानी पटना से सटे सुंदरपुर की गहनी मांझी को अब पेट भर भात खाने को मिल जाता है। जवानी की न जाने कितनी रातें खाली पेट गुजारने के बाद बुढ़ापे में उन्हें पेट भर खाना नसीब हो रहा है। गहनी का भाग्य अनाज बैंक की वजह से ही जागा है। अनाज बैंक यानी वह बैंक जहां अनाज का लेन देन होता है। इस बैंक से अनाज उधार लिया जा...

More »

सामाजिक, आर्थिक व जातीय जनगणना : समावेशी जुबान, मंशा अनजान!

आजादी के बाद भारत में गरीबी रेखा तय करने की दिशा में उठाये गये विभिन्न कदमों की सूची में पिछले कुछ वर्षो के दौरान संचालित सामाजिक, आर्थिक व जाति सर्वेक्षण का महत्वपूर्ण स्थान है. इसमें पहली बार किसी परिवार की सामाजिक पहचान को तरजीह दी गयी है. देश में लंबे अरसे से ऐसी मान्यता रही है कि गरीबी की मार कुछ सामाजिक श्रेणियों को ज्यादा ङोलनी पड़ती है, जिनमें से...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close