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COP26: विश्व के नेताओं ने जंगलों की कटाई रोकने का संकल्प किया, इधर तमिलनाडु वन विभाग ने महत्वाकांक्षी योजना तैयार की

-गांव कनेक्शन, स्काटलैंड के शहर ग्लासगो में चल रहे 2021 के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन, COP26 का आज 12 नवंबर को समापन हो जाएगा। दुनिया के तमाम देश इसके परिणाम की प्रतीक्षा कर रहे हैं। लेकिन तमिलनाडु का वन विभाग इस दिशा में काम करने के लिए पहले से ही तैयार है। तमिलनाडु सरकार और उसके वन विभाग ने हाल ही में, अपने समृद्ध वन भंडार, वनस्पतियों और जीवों को सुरक्षित और...

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असम के दक्षिण-पश्चिमी जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बेहद दयनीय – I

-न्यूजक्लिक, दुनियाभर में कोविड-19 के प्रसार ने एक प्रकार से भानुमति का पिटारा ही खोलकर रख दिया है, क्योंकि अधिकाँश देशों में मामलों की संख्या में दिन-दूनी रात-चौगुनी वृद्धि से निपटने के मामलों में बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं को बेहद अपर्याप्त पाया गया था। कई देशों में मौतों को रोक पाना बेहद दुष्कर कार्य जान पड़ा। महामारी ने वैज्ञानिक समुदाय के सामने एक हिमालय जैसी अलंघ्यनीय चुनौती पेश कर दी थी –...

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कैसे कर रहे हैं राजस्थान के ग्रामीण अपने सदियों पुराने तालाबों का संरक्षण

-इंडियास्पेंड, राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में पानी का महत्व भगवान के समान है। यहां के ग्रामीण इस अनमोल संसाधन की एक-एक बूंद को बचाने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं। राजस्थान के नागौर जिले के ग्रामीण इलाकों में पानी को संरक्षित करने का सबसे आसान माध्यम तालाब हैं। इन तालाबों के बारे में उल्लेखनीय तथ्य यह है कि इनमें से कई तालाब सदियों पुराने हैं और ग्रामीणों के प्रयास से ही...

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उत्तर प्रदेश की एनकाउंटर संस्कृति और न्यायेतर हत्याएं

-न्यूजलॉन्ड्री,  न्याय की पूरी प्रक्रिया से गुजरे बिना, केवल पुलिस द्वारा होने वाले एनकाउंटर, गैर-न्यायिक या न्यायेतर हत्याएं कही जाती हैं. भारत में एनकाउंटर कोई हाल के वर्षों की घटनाएं नहीं हैं. पुलिस फायरिंग या अदालत ले जाते समय या किसी और परिस्थिति में पुलिस के हाथों ऐसी हत्याएं होती रही हैं. जिन्हें बाद में एनकाउंटर कहा गया. हालांकि पहले पुलिस फायरिंग से होने वाली ज्यादातर मौतें “अशांत” या संघर्षरत, मसलन...

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मीठा देने वाले गन्ना मजदूर एक-एक निवाले को मोहताज क्यों?

-कारवां, एक तरफ, देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर किसान केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं, दूसरी तरफ महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में शोषण का ऐसा जाल बिछा हुआ है, जो हमें दिखाई तो नहीं देता है लेकिन दिन-ब-दिन अधिक फैलता और कसता जा रहा है. गन्ने की खेती के इस जाल में फंसे मजदूर और छोटे किसान अपनी बेबसी का रोना रो रहे हैं....

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