सुनील भाई से जब भी मिला, जहां भी मिला उन्हें एक जैसा ही पाया. वे रंग बदलनेवाले और रंग दिखानेवाले समाजवादी नहीं थे. उन्हें देख कर और याद कर मुक्तिबोध की बौद्धिकों पर व्यंग्य में की कही गयी कविता की पंक्तियां पलट कर कहने का मन करता है. मुक्तिबोध ने आज के बुद्धिजीवियों के लिए कहा था- ‘उदरंभरि अनात्म बन गये, भूतों की शादी में कनात से तन गये, लिया बहुत...
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घोषणापत्रों में नजरंदाज होते किसान
चुनाव अभियान पूरे देश में जोर-शोर से जारी है, लेकिन इसमें न किसान कहीं दिख रहा है और न किसान की चिंता। जहां भारत की लगभग 60 प्रतिशत आबादी कृषि और उससे जुड़े उद्योगों पर निर्भर है, वहां उस तबके की उपेक्षा हैरान करने वाली है। यह भी खबर आ रही है कि इस बार प्रमुख पार्टियों का ध्यान उन 250 सीटों पर ही है, जिनके बारे में माना जा...
More »प्रतिकूल मौसम से गेहूं की सरकारी खरीद 11%घटने की संभावना- आर एस राणा
चालू रबी विपणन सीजन 2014-15 में गेहूं की सरकारी खरीद तय लक्ष्य से 11.2 फीसदी घटकर 270-275 लाख टन ही होने की आशंका है। असमय की बारिश से गेहूं की फसल को नुकसान हुआ है, साथ ही रोलर फ्लोर मिलर्स, निर्यातकों और स्टॉकिस्टों द्वारा गेहूं की ज्यादा खरीद किए जाने की संभावना है। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि चालू रबी विपणन सीजन 2014-15 में गेहूं की...
More »इस बार के चुनाव में खेती-किसानी मुद्दा क्यों नहीं है- हरवीर सिंह
इंदिरा गांधी के इमरजेंसी राज के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को जिस जनता पार्टी ने सत्ता से बेदखल किया, उसका चुनाव चिह्न हलधर था। उस चुनाव का एक नारा था, देश की खुशहाली का रास्ता खेतों और गांवों से होकर जाता है। साफ है कि तब राजनीति के केंद्र में किसान और गांव-देहात था। अब सोलहवीं लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। इस चुनाव में मध्यवर्ग,...
More »नेफेड से फसल खरीद बढ़ाने में जुटी सरकार
कई फसलों के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे गिरने से चुनावी साल में सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इस साल रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन की उम्मीद है, लेकिन फसलों की खरीद को लेकर चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। किसानों के गुस्से से बचने के लिए केंद्र ने सरकारी एजेंसियों से खरीद बढ़ाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। इसके लिए प्राइस सपोर्ट स्कीम के तहत नेफेड और केंद्रीय भंडारण...
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