भट्टा-पारसौल में जो हुआ और जिस अंदाज में हुआ उससे साफ है कि उत्तर प्रदेश सरकार को असहमति और विरोध के लोकतांत्रिक अधिकार की जरा भी परवाह नहीं. रेयाज उल हक की रिपोर्ट अगर यह लोकतंत्र है तो भट्टा-पारसौल के लोगों ने इसका मतलब देखा और महसूस किया है. देश की संसद से बमुश्किल 70 किलोमीटर दूर बसे 6000 जनों की आबादी वाले इस गांव ने लोकतंत्र को गोलियों के रूप...
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फसल भंडारण के प्रति गंभीरता दिखाए केंद्र- रविंदर शर्मा
मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि केंद्र को फसल के भंडारण के प्रति गंभीरता से सोचना होगा और इस समस्या को हल करने के लिए नए गोदाम बनाए जाने चाहिए। वह सोमवार को गांव पोजेवाल में संगत दर्शन के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि केंद्र राज्य के साथ धोखेबाजी कर रहा है। केंद्र राज्य से टैक्स के रूप में ज्यादा रुपये इकट्ठे कर रहा है,...
More »बाल विकास मंत्री के सामने ही उड़ी बालश्रम कानून की धज्जियां : अनूप अंजुमन
पंचकूला. हरियाणा सरकार व प्रशासन बाल मजदूरी रोकने के लाख दावे कर ले लेकिन प्रदेश में वस्तु स्थिति कुछ और ही है। इसकी हकीकत वीरवार को पंचकूला हुडा सेक्टर 12ए में अंबेडकर जयंती पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान दिखी जहां बच्चे ही पानी पिला रहे थे और बर्तन साफ कर रहे थे। कार्यक्रम में हरियाणा की महिला एवं बाल विकास मंत्री गीता भुक्कल बतौर मुख्य अतिथि शामिल थीं। हुडा प्रशासक...
More »‘सुपरबग को लेकर भारत पर मढ़े जा रहे गलत आरोप’
नयी दिल्लीः दिल्ली में सरकारी नल से आपूर्ति किए जा रहे पानी में दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया कथित तौर पर पाए जाने को लेकर ‘सच छिपाने’ के आरोप पर प्रतिक्रिया जताते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आज कहा कि भारत पर अनावश्यक और गलत तरीके से आरोप मढ़ा जा रहा है और उसे अलग-थलग किया जा रहा है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महासचिव और स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव वी एम कटौच...
More »रेत की रग-रग में सहेज लेते हैं पानी की बूंदें
जयपुर/जैसलमेर. जैसलमेर में लोग रेत की रग-रग में पानी की बूंदें सहेजना जानते हैं। पानी की हर बूंद के उपयोग की परंपरा यहां सदियों पुरानी है। लोग खाट पर बैठकर नहाते हैं। नीचे इकट्ठा किए पानी को घर व बर्तन धोने जैसे कामों में लेते हैं। तीन तरह का पानी रखते हैं। पीने के लिए मीठा। रसोई के लिए कम खारा और अन्य कामों के लिए खारा। करीब हर घर में...
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