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राजस्थान के आदिवासी बहुल जिलों को संविधान के पांचवीं अनुसूची में किया गया शामिल

नई दिल्ली। राजस्थान के आदिवासी बहुल जिलों को संविधान की पांचवीं अनुसूची में शामिल करने की अनुमति कैबिनेट ने दी है। इन इलाकों में रहने वाले आदिवासियों को जरूरी सहूलियतें मिलेंगी। बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ जिलों के साथ नौ तहसीलों, एक ब्लाक, 46 ग्राम पंचायतों (उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, पाली व सिरोही के 227 गांवों) को इसमें शामिल किया गया है। कैबिनेट ने 12 फरवरी 1981 के संवैधानिक आदेश को पुर्नजिवित करते हुए...

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विश्व बैंक की रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ के पीडीएस मॉडल की तारीफ

अनिल मिश्रा, रायपुर। विश्व बैंक की हाल ही में रिलीज हुई सालाना रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ के पीडीएस मॉडल की प्रशंसा की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में इलेक्ट्रानिक उपकरणों के प्रयोग से लीकेज कम करने में सफलता हासिल की है। 2005 में पीडीएस में लीकेज 52 फीसद था जो 2012 में घटकर नौ फीसद रह गया। विश्व बैंक की 2019 की रिपोर्ट-चेंजिंग...

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नीति आयोग ने जिस पैमाने से बिहार को आंका, वह तो उसमें निकला आगे

पटना : नीति आयोग के सीईओ अमिताभकांत ने अपने जिस पैमाने से बिहार को आंकने के बाद बयान दिया है उस क्षेत्र में राज्य रणबाकुरा बना हुआ है. अमिताभकांत का बयान एक तरफ है, सच्चाई दूसरी तरफ. महान अर्थशास्त्री माइकल टोडारो (अमेरिकन) मानव विकास इंडेक्स में पिछड़ेपन के लिए जनसंख्या में तीव्र वृद्धि, निम्न प्रतिव्यक्ति आय और प्राथमिक क्षेत्रों पर निर्भरता को मुख्य कारण मानते हैं. बिहार...

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बदलती हवा और गैर-पेशेवर पुलिस-- विभूति नारायण राय

पिछले कुछ दिनों से भारतीय मर्दों या लड़कों के वहशीपन के किस्से मीडिया में छाए हुए हैं। ऐसा नहीं है कि ये पुरुष अचानक जानवर बन गए हैं। दुधमुंही बच्चियां, छोटी-बड़ी लड़कियां और यहां तक कि बूढ़ी औरतें भी पूरी तरह से भारतीय समाज में कभी सुरक्षित नहीं रही हैं। भारतीय संस्कृति की महानता के कुछ पैरोकारों के इन दावे पर कि इसके लिए तेजी से बढ़ती पाश्चात्य मूल्यों की...

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बेगाने होते बच्चे-- आशुतोष चतुर्वेदी

पहले तनाव सिर्फ वयस्क लोगों में होता था, लेकिन अब इसकी चपेट में बच्चे भी आ गये हैं. बच्चों में तनाव सबसे अधिक पढ़ाई को लेकर है, माता-पिता से संवादहीनता को लेकर है. परिवार, स्कूल और कोचिंग में वे तारतम्य स्थापित नहीं कर पाते और तनाव का शिकार हो जाते हैं.   हमारी व्यवस्था ने उनके जीवन में अब सिर्फ पढ़ाई को ही रख छोड़ा है. रही सही कसर टेक्नोलॉजी ने...

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