दुनिया के इतिहास में यह पांचवीं सबसे जानलेवा लू है, जिसका सामना हम इन दिनों कर रहे हैं। 2200 से ज्यादा लोगों की अब तक यह जान ले चुकी है। क्या हमें और मौतों का इंतजार है, जिसके बाद ही हम लू के खतरे का सामना करने के लिए कोई राष्ट्रीय नीति बनाएंगे? ध्यान रहे कि पिछले कुछ दिनों में गर्म हवा के थपेड़ों से जितने लोगों की मौतें हुई...
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सावधान: दिल्ली की गर्मी मेट्रो शहरों में सबसे खतरनाक
देश के पांच मेट्रो शहरों में दिल्ली की गर्मी सबसे खतरनाक है। आईआईटी दिल्ली के सेंटर फॉर एटमॉस्फिरिक साइंस (सीएएस) ने चार साल तक दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और हैदराबाद के मौसम का अध्ययन करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला। 'कंफर्ट इंडेक्स' में हैदराबाद का मौसम अपेक्षाकृत ठीक बताया गया। शहर असहज खतरनाक दिल्ली 21.7 12.9 मुंबई 27 1.2 चेन्नई 31.3 7.6 कोलकाता 13.7 19.5 हैदराबाद 18.6 2.2 नोट: असहज और खतरनाक स्तर की...
More »मौसम में फेरबदल कर सूखे का सामना करने की तैयारी में महाराष्ट्र
नई दिल्ली. इस साल कम बारिश की आशंका को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार पानी की कमी को पूरा करने के लिए 'क्लाउड सीडिंग' कराने पर विचार कर रही है। महाराष्ट्र के राहत एवं पुनर्वास विभाग के सचिव केएच गोविंदराज ने कहा, 'राज्य सरकार सरकार ने क्लाउड सीडिंग कराने के लिए ग्लोबल टेंडर आमंत्रित किए हैं ताकि जरूरत से कम बारिश होने पर हम उसके मुकाबले के लिए तैयार रहें।' गोविंदराज...
More »सीएमएस एन्वायर्नमेन्टल जर्नलिज्म अवार्ड के लिए प्रविष्टियां आमंत्रित
प्रिन्ट, ब्राडकॉस्ट तथा ऑनलाइन मीडिया से जुड़े पत्रकार बंधुओं से सीएमएस वातावरण यंग एन्वायर्नमेन्टल जर्नलिज्म अवार्ड के लिए प्रविष्टियां आमंत्रित हैं। प्रविष्टियों को भेजने की अंतिम तारीख 31 जुलाई 2015 है। सीएमएस वातावरण यंग एन्वायर्नमेन्टल जर्नलिज्म अवार्ड का लक्ष्य देश के 21-35 आयु वर्ग के युवा पत्रकारों द्वारा पर्यावरण से संबंधित पत्रकारिता के क्षेत्र में किए जा रहे उत्कृष्ट योगदान को रेखांकित और पुरस्कृत करना है। इस अवार्ड के माध्यम से प्रिन्ट,...
More »जीडीपी का तड़का और 20 करोड़ लोगों की भुखमरी- आशुतोष ओझा
नई दिल्ली। मोदी सरकार पर कॉरपोरेट की पैरोकार होने के आरोप लगते हैं। ये आरोप सही हैं या गलत, इस पर बहस हो सकती है। लेकिन,सरकार के एक साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित पूरी कैबिनेट जिस तरह उपलब्धियों का बखान और मीडिया के जरिए ढिंढोरा पीट रही है, वह संस्कृति निश्चित रूप से कॉरपोरेट जैसी ही लगती है। सरकार की बीते एक साल की उपलब्धियों के शोर...
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