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असंगति का संगीत- रोहिणी मोहन

कुछ मामलों में एक जैसे और ज्यादातर मामलों में एक-दूसरे से जुदा शांति और प्रशांत भूषण के छुए-अनछुए पहलुओं की पड़ताल करती रोहिणी मोहन की रिपोर्ट मई, 1995 की एक दोपहर को सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु ठक्कर अपने वकीलों प्रशांत और शांति भूषण के साथ सर्वोच्च न्यायालय में बैठे हुए थे. उनसे जरा-सी दूरी पर मुख्य न्यायाधीश एएस आनंद एक ऐसा फैसला सुना रहे थे जो पूर्वी गुजरात के कम से कम...

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अफसर चाहते हैं भ्रष्टाचार : राजेश दुबे

भोपाल. ‘मप्र में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) भ्रष्टाचार के दलदल में फंसी है। लगभग हर दुकान पर रिश्वतखोरी और कालाबाजारी का बोलबाला है। बिना रिश्वत दिए यहां कोई काम नहीं होता। अपने फायदे के लिए नौकरशाह भी चाहते हैं पीडीएस में भ्रष्टाचार चलता रहे।’ यह टिप्पणी किसी विपक्षी दल की नहीं है बल्कि पीडीएस की छानबीन के लिए सुप्रीमकोर्ट के निर्देश पर बनी एक सदस्यीय जस्टिस डीपी वाधवा कमेटी की है। कमेटी ने सितंबर...

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बोनस के चक्कर में दूसरे राज्यों का गेहूं बिक रहा मप्र में

जागरण ब्यूरो, भोपाल/ग्वालियर। बोनस की राशि लेने के चक्कर में सीमावर्ती राज्यों के व्यापारी भी अपना गेहूं मध्यप्रदेश की मंडियों में खपा रहे हैं। यह खेल मंडी और खाद्य व नागरिक आपूर्ति विभाग के अधिकारियों की सांठगांठ से किया जा रहा है। कुछ स्थानों पर पीडीएस का गेहूं भी इन मंडियों में बेचे जाने के मामले सामने आए हैं। मध्यप्रदेश में राज्य सरकार समर्थन मूल्य पर सौ रुपये का...

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रत्नागिरी में बंद के दौरान हिंसा, एक की मौत

मुंबई। महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की गोलीबारी के विरोध में मंगलवार को शिव सेना ने बंद का आह्वान किया है। इस दौरान कुछ स्थानों पर हिंसक घटनाएं भी हुई है। सोमवार को प्रदर्शनकारी 9,900 मेगावाट की जैतापुर परमाणु ऊर्जा परियोजना का विरोध कर रहे थे, तभी पुलिस ने उन पर गोलियां चला दी और एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई। पुलिस ने बताया कि...

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लोकतंत्र में शॉर्टकट नहीं होता : हर्ष मंदर

वह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण क्षण था, जब देशभर के मध्यवर्गीय युवा भ्रष्ट प्रशासन के प्रति आक्रोश व्यक्त करने के लिए एकजुट हुए। हमारा देश कई विरोध प्रदर्शनों का साक्षी रहा है। कुछ हिंसक तो कुछ शांतिपूर्ण। कुछ वेतन व भूमि के लिए तो कुछ आत्मसम्मान व मानवाधिकारों के लिए। लेकिन यह आंदोलन कुछ अलग था। दशकों बाद हमने शिक्षित और संपन्न युवाओं को इतने बड़े पैमाने पर...

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